अमरीका के विरोध के बावजूद रूस से करीब पांच अरब डॉलर के एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली के सौदे पर आज भारत और रूस के बीच करारा हो जाएगा। इस मिसाइल प्रणाली को अमरीका के सबसे उन्नत थाड मिसाइल प्रणाली के टक्कर का माना जाता है। कुछ मामलों में यह थाड से भी बेहतर है। भारत के रूस के साथ इस सौदे पर अमरीका के बौखलाने की खास वजह भी यही है। हालांकि रक्षा जानकारों का कहना है कि ये दोनों ही मिसाइल प्रणालियां एक दूसरे से जरा भी कम नहीं हैं। कुछ मामलों में थाड एस-400 पर भारी पड़ता है, तो कुछ मामलों में एस-400 थाड से आगे है।
थाड यानी टर्मिनल हाई अल्टीट्यूड एरिया डिफेंस, एक अमरीकन एंटी बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम है जिसे कम, मध्यम और मध्यवर्ती रेंज वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को उनकी लांचिंग स्टेज में ही नष्ट करने के लिए बनाया गया है। अमरीका इस मिसाइल प्रणाली को दक्षिण कोरिया में तैनात किया हुआ है। इस मिसाइल प्रणाली की खासियत है कि यह आसपास के 200 मीटर के दायरे में उड़ने वाली किसी भी मिसाइल को उड़ते ही गिराने में तकनीकी रूप से सक्षम है। इसमें लगा रडार 600 से 900 किलोमीटर की दूरी तक मिसाइलों और विमानों पर नजर रख सकता है। इस राडार की सबसे बड़ी खासियत है कि यह तकनीकी दृष्टि से इतनी सक्षम है कि उसे इस तरह से सेट किया जा सकता है कि वह 2000 किलोमीटर की दूरी पर भी निगरानी करे। यह मिसाइल सिस्टम लगभग 200 किलोमीटर की दूरी तक और 150 किलोमीटर की ऊंचाई तक किसी भी टारगेट को पलक झपकते ही खत्म कर सकता है। थाड तकनीक से एक बार में आठ एंटी मिसाइलें दागी जा सकती हैं।
एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की खासियत की बात करें तो यह करीब 400 किलोमीटर के क्षेत्र में दुश्मन के विमान, मिसाइल और यहां तक कि ड्रोन को भी नष्ट करने में सक्षम है। इसे सतह से हवा में मार करने वाली दुनिया की सबसे सक्षम मिसाइल प्रणाली माना जाता है। इस मिसाइल प्रणाली की क्षमता का इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि यह अमरीका के सबसे उन्नत फाइटर जेट F-35 को भी गिराने की काबिलियत रखती है। एस-400 को अमरीका की थाड एंटी मिसाइल सिस्टम की टक्कर का माना जाता है। इस रक्षा प्रणाली से विमानों सहित क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों और जमीनी लक्ष्यों को भी भेदा जा सकता है। इसके अलावा इसकी खासियत है कि इस मिसाइल प्रणाली में एक साथ तीन मिसाइलें दागी जा सकती हैं और इसके प्रत्येक चरण में 72 मिसाइलें शामिल हैं, जो 36 लक्ष्यों पर सटीकता से मार करने में सक्षम हैं। एस-400 की खासियत यह है कि ये भारत की जरूरतों को पूरा करती है। इसकी निगरानी क्षमता भी थाड की तरह है। सबसे बड़ी बात ये है कि रूस तकनीक हस्तांतरण को लेकर भी सहमत है। इसके साथ ही रूस भारत को परमाणु पणडुब्बी सहित कई अन्य घातक हथियार देने को भी तैयार है।
रूस का एक प्लस प्वाइंट ये भी है कि भारत का सबसे पुराना जांचा-परखा दोस्त है और हर अवसर पर उसने भारत का साथ दिया। यहां तक कि 1962 में जब आयरलैंड ने कश्मीर के मुद्दे पर भारत के खिलाफ यूएन में प्रस्ताव लाया तो रूस ही एकमात्र देश है जिसने प्रस्ताव को वीटो कर भारतीय हितों की रक्षा की थी।