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महाभियोग पर उपराष्ट्रपति का पलटवार: बोले- जल्दबाजी नहीं 1 माह कानूनी विमर्श के बाद लिया फैसला

सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को नामंजूर करने के फैसले का सुप्रीम कोर्ट के वकीलों ने स्वागत किया है।

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव खारिज करने के बाद उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू का बड़ा बयान सामने आया है। उपराष्ट्रपति ने कहा है कि महाभियोग को खारिज करना जल्दबाजी में लिया गया फैसला नहीं है। उन्होंने कहा कि इस फैसले को लेकर एक माह तक सावधानीपूर्वक मंथन किया गया है। राज्यसभा के सभापति नायडू ने यह भी कहा कि वो इस फैसले से पूरी तरह संतुष्ट हैं। बता दें कि उपराष्ट्रपति की ओर से यह बयान उसके बाद आया जब इस मसले पर चर्चा करने को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के 10 वकीलों ने उनसे मुलाकात की। राज्यसभा के 64 सदस्यों ने 20 अप्रैल को प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ 'कदाचार' के पांच आरोपों के आधार पर नायडू को महाभियोग प्रस्ताव सौंपा था।

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वकीलों ने की तारीफ

वहीं, सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को नामंजूर करने के फैसले का सुप्रीम कोर्ट के वकीलों ने स्वागत किया है। इस फैसले को लेकर वकीलों ने उपराष्ट्रपति की प्रशंसा करते हुए कहा कि सभापति वेंकैया नायडू ने चीफ जस्टिस के पद और सुप्रीम कोर्ट कार्यालय की गरिमा को बचाया है। बता दें कि राज्यसभा के सभापति एम.वेंकैया नायडू ने प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा के खिलाफ विपक्षी दलों के महाभियोग नोटिस को सोमवार को खारिज कर दिया था। नायडू ने 'कदाचार' के संबंध में 'विश्वसनीय और सत्यापित' सूचना के अभाव के आधार पर नोटिस को खारिज किया था। कांग्रेस की अध्यक्षता में सात पार्टियों के 64 सांसदों की ओर से पेश किए गए महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस को खारिज करने के फैसले को पूर्व कानून मंत्री और प्रसिद्ध वकील कपिल सिब्बल ने आड़े हाथ लिया और इस फैसले को 'जल्दबाजी में लिया गया फैसला' और अवैध व असंवैधानिक बताया। उन्होंने कहा कि फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी।

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विपक्ष ने बोला था हमला

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने हालांकि कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा था कि विपक्षी पार्टियों का यह कदम उन सभी संस्थानों को कमजोर और संकुचित करने का कदम है, जिन संस्थानों को खुद की पहचान बनाए रखने की जरूरत है। सभापति ने यह आदेश सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय की कार्रवाई शुरू होने से पहले दिया, ताकि प्रधान न्यायाधीश अबाधित तरीके से अपना काम करते रहे। उन्होंने रविवार को कानूनी सलाह लेने के बाद अपने 10 पन्ने के आदेश में कहा था हम किसी भी सोच, शब्द या कार्य से शासन के हमारे स्तंभ को कमजोर नहीं होने दे सकते। महाभियोग नोटिस न तो वांछनीय है और न ही समुचित है। नायडू ने अपने आदेश में कहा था कि मैं इस बात से भी वाकिफ हूं कि हमारे पास न्यायाधीश को हटाने के लिए असाधारण, महत्वपूर्ण और पर्याप्त आधार होना चाहिए।