15 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

नान घोटाला… जांच करने पहुंची CBI की टीम, वाट्सऐप चैटिंग प्रकरण में की FIR दर्ज

NAN Scam in CG: रायपुर में सीबीआई ने 2015 में हुए बहुचर्चित नान घोटाले में हुए वाट्सऐप चैट की जांच करने के लिए एफआईआर दर्ज की है।

2 min read
Google source verification
नान घोटाला... जांच करने पहुंची CBI की टीम, वाट्सऐप चैटिंग प्रकरण में की FIR दर्ज

CG NAN Scam: छत्तीसगढ़ के रायपुर में CBI ने 2015 में हुए बहुचर्चित नान घोटाले (NAN Scam) में हुए वाट्सऐप चैट की जांच करने के लिए एफआईआर दर्ज की है। यह एसीबी की FIR के आधार पर की गई है। इसमें बताया गया है कि यह प्रकरण अपराधिक षड्यंत्र, लोकसेवक द्वारा रिश्वत प्राप्त करना, निजी व्यक्ति द्वारा लोक सेवक को रिश्वत देना, आपराधिक कदाचार, झूठे साक्ष्य गढ़ना,किसी व्यक्ति को झूठे साक्ष्य देने के लिए प्रेरित करना,लोक सेवक द्वारा निर्देशों की अवहेलना की गई थी।

यह भी पढ़ें: CG NAN Scam: ED का एक्शन! टुटेजा पर लगा गलत तरीके से जमानत लेने का आरोप, HC के जज को प्रभावित करने की कोशिश

CG NAN Scam: नान घोटाला...

इसकी जांच करने के लिए पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा के सिविल लाइन स्थित ठिकाने में दबिश दी गई। बताया जाता है कि तलाशी के दौरान इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस और दस्तावेजों को जब्त किया गया है। बता दें कि नान घोटाले में शामिल लोगों को जमानत दिलाने और साक्ष्य को छिपाकर जमानत दिलाने में मदद करने के आरोप में EOW ने 4 नवंबर 2024 को केस दर्ज किया था।

रसूखदारों पर कार्रवाई

साथ ही अनिल टुटेजा, आलोक शुक्ला, सतीश चंद्र वर्मा को नामज़द आरोपी बनाया था। हालांकि सतीशचंद्र वर्मा और आलोक शुक्ला को जमानत मिल चुकी है। नान घोटाले की जांच करने के सिलसिले में यह छापेमारी अनिल टुटेजा के निवास पर की गई थी। सूत्रों का कहना है कि जल्दी ही इसकी जद में दो आईपीेएस अधिकारी और कुछ रसूखदार लोगों को लिया जाएगा। इसमें ACB की तत्कालीन चीफ और उनके करीबी बताए जाते हैं।

जानें क्या है डिजिटल साक्ष्य..

EDने पूरे प्रकरण की सूचना देने के साथ ही इसके दस्तावेजी साक्ष्य सीबीआई को हस्तांतरित किया था। इसमें बताया गया था कि नान केस में आरोपी अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला के खिलाफ आयकर विभाग ने डिजिटल साक्ष्य हासिल किए थे।

ईडी ने एसीबी को बताया कि यह डिजिटल साक्ष्य यह बताते हैं कि, अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला ने ईडी की जांच प्रक्रिया को बाधित करने का प्रयास किया। वहीं छत्तीसगढ़ सरकार के ब्यूरोक्रेट तथा संवैधानिक पद पर बैठे अधिकारियों के साथ मिलकर एसीबी के ट्रायल को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे थे।