
रुकी पैसे बर्बादी! समिति ने कहा- नेहरू मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग में 35 से 40 डेडबॉडी उपलब्ध...(photo-patrika)
CG Doctors: छत्तीसगढ़ के रायपुर शहर में स्तिथ पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी के 63 समेत 77 पदों के लिए हुए वॉक इन इंटरव्यू में केवल दो डॉक्टर शामिल हुए। इनमें एक रेडियोथैरेपी व दूसरा पैथोलॉजी में असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए आया था। यही नहीं दो में एक डॉक्टर ही पात्र मिला। बड़ा सवाल है कि क्या अब डॉक्टरों की टीचिंग में रूचि कम हो रही है? इसलिए वे मेडिकल कॉलेज ज्वाइन करने से बच रहे हैं। हालांकि कुछ लोग कम वेतन व डॉक्टरों की कम उपलब्धता को भी कारण बता रहे हैं।
CG Doctors: कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसरों के 53, सीनियर रेसीडेंट के 10, सीएमओ के 11 समेत अन्य पदों के 14 पद खाली है। इन पदों को भरने के लिए वॉक इन इंटरव्यू किया गया। थोरेसिक सर्जरी में असिस्टेंट प्रोफेसर के सभी 5 पद खाली है। वहीं मेडिसिन में 7 व रेडियो डायग्नोसिस विभाग में 6 पद खाली है। कॉलेज में हर माह वॉक इन होता है, जिसमें गिनती के डॉक्टर पहुंच रहे हैं। सितंबर में महज 9, अगस्त में 10 डॉक्टर ही पहुंचे थे।
इस ट्रेंड को देखते हुए लगता है कि असिस्टेंट प्रोफेसर में ज्वाइन कराने के लिए कॉलेज को डॉक्टर ही नहीं मिल रहे हैं। चूंकि इस पद के लिए यंग डॉक्टरों की जरूरत होती है। ये यंग डॉक्टर सरकारी के बजाय निजी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल ज्वाइन करने को प्राथमिकता दे रहे हैं। निजी कॉलेज में वेतन भी ज्यादा मिलता है और नॉन प्रेक्टिस अलाउंस का झंझट भी नहीं है। इन्हीें सब कारणों को देखते हुए डॉक्टर नहीं आ रहे हैं। चूंकि ये संविदा नियुक्ति है इसलिए भी डॉक्टर ज्वाइन करने के इच्छुक नहीं हैं।
राजधानी समेत प्रदेश में मेडिकल कॉलेज व निजी अस्पतालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पिछले 4 साल में तीन नए निजी कॉलेज खुल गए हैं। अब 5 मेडिकल कॉलेज हो गए हैं। इससे सरकारी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों को अच्छे वेतन पर निजी कॉलेज ज्वाइन करने का विकल्प भी मिल गया है। पहले ये विकल्प कम था।
रायपुर में ही तीन निजी मेडिकल कॉलेज है। अगले साल एक और कॉलेज चालू होने की संभावना है। सरकारी की तुलना में निजी कॉलेजों में 15 से 20 फीसदी वेतन ज्यादा दिया जा रहा है। यही कारण है कि कई डॉक्टर आंबेडकर में नौकरी छोड़ने के बाद निजी मेडिकल कॉलेज ज्वाइन कर रहे हैं।
नौकरी के बाद बेफिक्री
निजी मेडिकल कॉलेज में नौकरी के बाद बेफिक्री से प्राइवेट प्रेक्टिस भी कर सकते हैं। वहीं सरकारी में अभी एनपीए का झंझट चल रहा है। शासन ने न केवल मेडिकल कॉलेजों में, बल्कि जिला अस्पतालों व सीएचसी में नौकरी कर रहे डॉक्टरों के निजी प्रेक्टिस को बंद करने कहा है। इससे विवाद बढ़ गया है। एनपीए लेने वाले डॉक्टरों की सूची भी सार्वजनिक कर दी गई है। इसमें कई डॉक्टर एनपीए लेने के बाद भी प्रेक्टिस कर रहे हैं।
विभाग कुल पद खाली
मेडिसिन 11 07
रेडियो डायग्नोसिस 09 06
थोरेसिक सर्जरी 05 05
सर्जरी 07 04
रेडियोथैरेपी 06 03
फोरेंसिक मेडिसिन 03 02
ऑर्थोपीडिक्स 05 02
एनीस्थीसिया 06 02
कार्डियोलॉजी 02 01
ईएनटी 03 01
नेहरू मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. विवेक चौधरी ने कहा फैकल्टी के खाली पदों को भरने के लिए हर माह वॉक इन इंटरव्यू किया जा रहा है। इस बार कम डॉक्टर आए। एनएमसी के मापदंड के अनुसार फैकल्टी है, लेकिन खाली पदों को भरने का प्रयास हमेशा रहता है। इंटरव्यू में कम डॉक्टर क्यों आ रहे हैं, इस पर कुछ कह पाना मुश्किल है। जिन्हें टीचिंग में रूचि होती है, वे जरूर मेडिकल कॉलेज ज्वाइन करते हैं।
बालाजी मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन डॉ. देवेंद्र नायक ने कहा अब डॉक्टरों के पास सरकारी के अलावा निजी मेडिकल कॉलेज में नौकरी का बेहतर विकल्प हो गया है। सरकारी कॉलेज ज्वाइन नहीं करने का यह भी एक कारण हो सकता है। सरकारी व निजी कॉलेज में वेतन का अंतर तो है ही। साथ ही एनपीए जैसा मामला निजी मेडिकल कॉलेजों में नहीं होता। नौकरी के बाद डॉक्टर बेफिक्री से प्राइवेट भी करते हैं।
Updated on:
14 Oct 2024 09:26 am
Published on:
14 Oct 2024 09:25 am
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