
शराब घोटाले में बड़ा खुलासा (Photo source- Patrika)
CG Liquor Scam: शराब घोटाले से अर्जित अवैध वसूली की रकम से पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने भतीजे कवासी भीमा के नाम पर जगदलपुर में रूद्र सीमेंट कंपनी खरीदी। 10 एकड़ में बनी यह फैक्ट्री पिछले 20-25 साल से बंद थी। इस कंपनी के मालिक पीआर अग्रवाल से 2020 में इसका सौदा करने के बाद अपने भतीजे के नाम पर लीज को ट्रांसफर किया। इसमें से दिखावे के लिए 15 लाख रुपए का भुगतान बैंक खाते से किया गया। वहीं बाकी रकम किस्तों में दी गई।
करीब 2.75 करोड़ रुपए रायपुर में और 1.10 करोड़ जगदलपुर में दिए गए। ईओडब्ल्यू ने विशेष न्यायाधीश की अदालत में पेश की गई चार्जशीट में इसका ब्योरा दिया है। साथ ही बताया है कि पूर्व आबकारी मंत्री को हर महीने करीब दो करोड़ रुपए 2020 से 2022 के बीच मिलते थे। शराब घोटाले के सिंडीकेट से जुडे़ लोग वसूली करने के बाद सभी को उनका हिस्सा पहुंचाते थे। जांच के दौरान मिले इनपुट के आधार पर एजेंसी ने घोटाले की रकम को लेकर डिजिटल साक्ष्य होने का दावा किया है।
जांच एजेंसी ने अभियुक्तों ने वॉट्सऐप चैट की पड़ताल की है। जिसमें कमीशन और सिंडिकेट से जुड़े मैसेज का आदान-प्रदान किया गया है। उक्त सभी का अदालत में कथन करवाने के बाद साक्ष्य में शामिल किया गया है। बता दें कि 2161 करोड़ रुपए से अधिक के शराब घोटाले में 14 आरोपियों को जेल भेजा जा चुका है। वहीं एक आरोपी को फरार घोषित किया गया है।
सरकारी संरक्षण में अवैध रूप से 60 लाख 50 हजार पेटी शराब की बिक्री दुकानों के माध्यम से हुए थी। इसके चलते शासन को 2174 करोड़ 60 लाख रुपए का नुकसान हुआ। संरक्षण में चल रहे इस खेल में आबकारी अफसरों ने गैर आदिवासी जिलों के दुकानों की बिक्री के हिसाब से 15 दुकानों की लिस्ट तैयार की गई थी। उक्त दुकानों में ट्रकों के जरिए अवैध शराब भिजवाई।
इसकी जानकारी तत्कालीन आबकारी विभाग के अधिकारी एपी त्रिपाठी और आबकारी सचिव निरंजन दास को थी। जांच में सिंडीकेट के डिस्टलरियों द्वारा अवैध शराब के निर्माण से लेकर ट्रकों के परिवहन, और दुकानों में बिक्री के बाद पैसों के कलेक्शन को लेकर साक्ष्य मिले हैं।
CG Liquor Scam: शराब घोटाले में पेश किए गए चार्जशीट में बताया गया है कि पूर्व आबकारी मंत्री, पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा और अनवर ढेबर की अवैध वसूली के खेल में मुख्य भूमिका रही है। जांच के दौरान उक्त सभी के खिलाफ डिजिटल साक्ष्य मिले हैं। इसमें सभी ने संयुक्त रूप से वसूली की रकम का इस्तेमाल ने अपने पारिवारिक सदस्यों, और उनके नाम पर बनाई गई कंपनी/फर्म में निवेश किया। इसका उल्लेख दस्तावेजी साक्ष्य सहित चार्जशीट में किया गया है।
ईओडब्ल्यू ने चार्जशीट में बताया कि घोटाले में आरोपी बनाए गए अनवर ढेबर, एपी त्रिपाठी, विकास अग्रवाल, नितेश पुरोहित के वाट्सऐप चैट से इस पूरे अवैध कारोबार का खुलासा हुआ है। अनवर के करीबी विकास अग्रवाल की अवैध वसूली में अहम भूमिका रही है।
Published on:
04 Jul 2025 09:18 am
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