
NEET स्ट्रे राउंड का बड़ा सरप्राइज! NRI सीटें मैनेजमेंट कोटा में बदलीं, अब 22 सितंबर से नया सेशन शुरू...(photo-patrika)
MBBS Seats: छत्तीसगढ़ छोटा राज्य है, लेकिन सेंट्रल पुल में हर साल देश में सबसे ज्यादा 38 सीटें दे रहा है। यह सरकारी मेडिकल कॉलेजों में कुल सीटों की 3 फीसदी है। दूसरी ओर, छत्तीसगढ़ से बड़े राज्यों राजस्थान में इस कोटे के तहत 24, उत्तरप्रदेश में 21 व मध्यप्रदेश में 28 सीटें ही दी गई हैं। 3 फीसदी सीटें देने से स्टेट कोटे की सीटें कम हो रही हैं। इसका सीधा नुकसान स्थानीय छात्रों को हो रहा है। इसके बावजूद न किसी जनप्रतिनिधि ने और न ही अधिकारियों ने इस पर आपत्ति की।
सेंट्रल पुल के लिए सीटें देना स्वैच्छिक हैं। इसके बावजूद प्रदेश पिछले 25 साल से 3 फीसदी सीटें दे रहा है। ज्यों ही सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सीटें बढ़ जाती हैं, इस कोटे के लिए भी सीटें बढ़ जाती हैं। अप्रैल में डीएमई कार्यालय ने सभी डीन को पत्र लिखकर सीटें सुरक्षित करने को कहा था।
इसके बाद सभी 10 डीन ने कॉलेजवार सीटों की संख्या भी भेज दी। जुलाई में शुरू काउंसलिंग में इन सीटों को अलग रखा गया, क्योंकि सेंट्रल पुल की सीटों पर एडमिशन केंद्र सरकार करता है। इसकी सीटें सबसे आखिर में भरती हैं। सामान्यत: देखने में आता है कि इस कोटे में नार्थ-ईस्ट के छात्र ज्यादा प्रवेश लेते हैं।
सेंट्रल पुल कोटे के तहत आतंकवाद, उग्रवाद व नक्सल प्रभावित परिवार के बच्चों को प्रवेश देने का नियम है। पहले इस कोटे के तहत उत्तर-पूर्व व जम्मू-कश्मीर के छात्रों को प्रवेश देना होता था, जहां मेडिकल कॉलेजों की संख्या काफी कम थी। ये सीटेें एक तरह से योगदान के रूप में दी जाती हैं।
अब इन राज्यों में मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ी है। स्वाभाविक है इससे एमबीबीएस की सीटें भी बढ़ी हैं। प्रदेश स्वैच्छिक को भी नियम मानकर हर साल ज्यादा सीटें दे रहा है, जो कि विशेषज्ञों के अनुसार सही नहीं है।
प्रदेश में पिछले 24 सालों में केवल एक या दो छात्र का एडमिशन सेंट्रल पुल के तहत हुआ है। जबकि दक्षिण छत्तीसगढ़ के कई जिले नक्सल प्रभावित है। इसमें कई परिवारों के मुखिया की मौत भी हुई है। दरअसल, राज्य सरकार की ओर से नाम केंद्र सरकार को भेजना होता है। अधिकारी यह भी काम नहीं कर पा रहे हैं।
अगले साल 250 सीटों वाला 5 नया मेडिकल कॉलेज खुलने की संभावना है। इसमें तीन फीसदी के हिसाब से 8 सीटें सेंट्रल पुल में चली जाएंगी। डीएमई डॉ. यूएस पैकरा सेंट्रल पुल में 3 फीसदी एमबीबीएस सीटें देने का नियम पहले से है। इसके अनुसार ही प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज सीटों का योगदान करते रहे हैं।
राज्य सीटें
मेडिकल एक्सपर्ट के अनुसार, सेंट्रल पुल कोटे के तहत 3 फीसदी सीटें देना अनिवार्य नहीं है, क्योंकि एनएमसी के पत्र में स्वैच्छिक लिखा हुआ है। अगर 3 फीसदी सीटें देना अनिवार्य होता तो बड़े राज्यों से ज्यादा सीटों का योगदान दिया जाता, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। स्टेट के छात्रों को फायदा हो, इस ओर पहल करने की जरूरत है, जो नहीं हो रही है। अगर छात्र हित में आवाज उठेगी तो जरूर केंद्र सरकार या एनएमसी कोई न कोई रास्ता जरूर निकालेगी। जरूरत पहल की है।
Updated on:
28 Sept 2025 08:31 am
Published on:
28 Sept 2025 08:30 am
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