रायपुरPublished: Apr 18, 2021 10:34:01 pm
Anupam Rajvaidya
धान व अरहर जैसी फसलों को नुकसान
जनजीवन पर संकट बढ़ेगा
क्लाइमेट चेंज : जर्मनी की एक स्टडी रिपोर्ट में खुलासा
छत्तीसगढ़ में जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा खतरा
55+ वर्ष वाले कोरोना पॉजिटिव मिले तो तुरंत हॉस्पिटल में करेंगे भर्ती
जलवायु परिवर्तन के सबसे अधिक खतरे वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ के साथ ही बिहार, झारखंड, असम, मिजोरम, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। वन क्षेत्र की कमी होना इसका प्रमुख कारण है। पोट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट स्टडी के मुताबिक अब मानसून पहले से ज्यादा ताकतवर और अनियमित होगा। इससे जून से सितंबर के बीच सबसे अधिक मूसलाधार बारिश की संभावना है। इससे धान व अरहर जैसी फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा।
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अर्थ सिस्टम डायनैमिक्स जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक भारत की कृषि अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी। इस दौरान कई फसलें चौपट होंगी और सामान्य जनजीवन भी बाधित होगा। अध्ययन की प्रमुख वैज्ञानिक अंजा कैटजेनबर्गर का कहना है कि ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन मानसून को अव्यवस्थित करने में बड़ी भूमिका निभा रहा है।
ये भी पढ़ें…[typography_font:14pt;” >रायपुर. कोरोना वायरस की दूसरी लहर से लोग दहशत में हैं ही। इस बीच, क्लाइमेट चेंज को लेकर हुई एक स्टडी में भी अच्छी खबर नहीं आ रही है। जर्मनी की पोट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट स्टडी में खुलासा हुआ है कि हर साल बढ़ रहे तापमान के असर से छत्तीसगढ़ समेत भारत के आठ राज्यों में जलवायु परिवर्तन का खतरा सबसे अधिक है। गर्मी ने मार्च से ही असर दिखाना शुरू कर दिया। अप्रैल की शुरुआत से ही तापमान में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है।
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