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कलेक्टर ने जारी किया अस्पतालों पर कार्रवाई के लिए नंबर, बैठे अधिकारी करवा रहे हैं सेटलमेंट

locationरायपुरPublished: May 03, 2021 02:32:29 pm

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CG Desk

– पीड़ित में जारी नंबर पर बात करने के बाद हुआ खुलासा .- निजी अस्पताल में अनाप-शनाप बिल की शिकायत की थी .

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रायपुर । कोरोना काल में आपदा को अवसर बनाने में कई अस्पताल जुटे हुए हैं। संक्रमित मरीजों की मौत के बाद भी लाखों रुपए का बिल वसूला जा रहा है। वैसे तो राज्य शासन ने अस्पतालों के इलाज की दर तय करके रखी है। इसके अलावा कलेक्टर ने भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को इसके लिए तैनात किया है।
इसी तरह की एक निजी नर्सिंग होम की एक शिकायत कलेक्टर के द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर 8602270023 पर 30 अप्रैल को की गई थी। उक्त दिन शिकायतकर्ता के पिता का कोरोना से देहांत होने के बाद डेड बॉडी नहीं दी जा रही थी।
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1 मई को वीके देवांगन नोडल अधिकारी का फोन शिकायतकर्ता के मोबाइल पर आया। उन्होंने मृतक के पुत्र धर्मेंद वर्मा को अस्पताल प्रबंधन से जाकर मिलने को कहा। उन्होंने शिकायतकर्ता को साफ कहा कि अस्पताल चले जाओ बिल में सेटलमेंट हो जाएगा। अस्पताल प्रबंधन द्वारा पूरा 5 लाख 10 हजार रुपए का बिल दिया गया था। मामला बांठिया नर्सिंग होम का है। यहां पर 16 अपै्रल को माना निवासी भूपेंद्र वर्मा को भर्ती किया गया था। इसके बाद उनकी 28 अप्रैल को मौत हो गई। अस्पताल प्रबंधन ने बिना बिल चुकाए डेड बॉडी देने से मना कर दिया। परिजनों ने गहने गिरवी रख कर पैसे का बंदोबस्त किया और अस्पताल को चुकाए।
बातचीत के अंश

नोडल अधिकारी: धर्मेंद जी बोल रहे हैं?
शिकायतकर्ता: हां जी बोल रहा हूं।

नोडल अधिकारी: वीके देवांगन नोडल अधिकारी बोल रहा हूं।
शिकायतकर्ता: जी बताईए।

नोडल अधिकारी: आपके बीके वर्मा जी एक्सपायर हो गए हैं।
शिकायतकर्ता: हां

नोडल अधिकारी: मेरी डॉ. बांठिया से बात हुई है। वो कुछ बिल कम करने को तैयार हैं।
शिकायतकर्ता: नहीं, मेरा पेशेंट तो मर गया अब मुझे रिफंड नहीं चाहिए।

नोडल अधिकारी: अरे जब धन भी गया जन भी गया। जो रिफंड दे रहा है वो ले लो।
शिकायतकर्ता: मुझे कार्रवाई चाहिए।

नोडल अधिकारी: आपको सीएमचओ ऑफिस में लिख कर देना होगा।
शिकायतकर्ता: मैं ऐसे अस्पताल जो हर मरीज को लूट रहे हैं उन पर कार्रवाई की जानी चाहिए।

नोडल अधिकारी: इसी अस्पताल की और भी शिकायत है। मेरे पास राजिम के एक मरीज की आई है। उनको भी भेजा गया है।
शिकायतकर्ता: सर मैं बहुत दुखी हूं मेरे पिता की डेथ हो गई है। मैं उनसे बहस करने नहीं जाना चाहता।

नोडल अधिकारी: आप सीएमचओ ऑफिस आईए, अभिषेक जी को आपके साथ भेजा जाएगा।
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नहीं दिया जाता पक्का बिल
जब से प्रशासन ने इलाज का रेट तय किया है, तब से कई अस्पताल पक्का बिल देने को तैयार नहीं हैं। पंडरी के अवंतीबाई चौक के पास एक निजी अस्पताल नें पांच लाख लेकर 1 लाख 72 हजार का बिल परिजनों को पकड़ाया। शव लेने के लिए मांगी गई राशि चुकाई। अब ऐसा ही अधिकांश अस्पतालों में हो रहा है।
इसी तरह का एक और मामला
बांटिया अस्पताल में एक मरीज़ की मृत्यु के बाद उनके परिजनों को शव वापस नहीं लौटाने का मामला सामने आया है। मरीज़ के भांजे ओमप्रकाश साहू द्वारा बताया गया कि मृतक को 21 अप्रैल की रात को अस्पताल में भर्ती किया गया। उसके बाद अस्पताल प्रंबंधन द्वारा 1 लाख की मांग की गई। उसके बाद मरीज़ का इलाज चल ही रहा था। और 1 मई को मरीज़ घनश्याम साहू की मौत हो गई। अस्पताल द्वारा पीडि़तों से करीब 6 लाख ले लिया गया है उसके बाद और 70 हजार का बिल तैयार कर पीड़ित को देकर कहा गया कि अब पहले पैसे दीजिये उसके बाद बॉडी ले जाइये। इसके बाद अस्पताल में जमकर हंगामा हुआ।
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शिकायत के लिए सीएमचओ और नोडल अधिकारी को समन्वय करने को कहा गया है। अस्पताल पर कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए लिखित शिकायत लेने को कहा गया है।
– डॉ. एस. भारतीदासन, कलेक्टर, रायपुर

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