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मवाई नदी के किनारे स्थित सीतामढ़ी हरचौका की गुफा में 17 कक्ष हैं। इसे सीता की रसोई के नाम से भी जाना जाता है। वहां एक शिलाखंड है, जिसे लोग भगवान राम का पद-चिह्न मानते हैं। मवाई नदी तट पर स्थित गुफा को काटकर 17 कक्ष बनाए गए हैं, जिनमें शिवलिंग स्थापित हैं। इसी स्थान को हरचौका (रसोई) के नाम से जाना जाता है।
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भगवान राम हरचौका से रापा नदी के तट पर स्थित सीतामढ़ी घाघरा पहुंचे थे। यहां करीब 20 फीट ऊपर 4 कक्षों वाली गुफा है। इसके बीच में शिवलिंग स्थापित है। आगे की यात्रा में वे घाघरा से निकलकर कोटाडोला होते हुए सरगुजा जिले की रामगढ़ पहाड़ी पहुंचे थे। 7 अक्टूबर को यहां विकसित नई पर्यटन सुविधाओं के लोकार्पण के साथ पूरे राम वन गमन पर्यटन परिपथ का भी शुभारंभ किया जाना है।
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