दरअसल, रेडक्रास होलसेलर से ही इंजेक्शन लेकर अपने स्टोर से डॉक्टरों के प्रिस्क्रिप्शन पर बेचता आ रहा था। यह स्टोर सीएमएचओ रायपुर द्वारा संचालित है। शनिवार को यहां मरीजों के परिजन आए मगर लौटे। जब यहां इंजेक्शन नहीं मिला तो वे मेडिकल कॉम्प्लेक्स गए। वहां भी नहीं मिला तो परिजनों ने एम्स के मेडिकल स्टोर का रूख किया। वह इसलिए क्योंकि डॉक्टर सीएम के आदेश के बावजूद अभी भी जिन मरीजों को जरूरी नहीं उनके लिए भी इंजेक्शन बाहर से लाने पर्ची बनाकर दे रहे हैं।
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रेमडेसिविर की इतनी मांग क्यों, समझें पूरा मामला मांग पैदा की गई- गंभीर और अतिगंभीर मरीजों को यह इंजेक्शन दिया जाना है। मगर, डॉक्टर हर मरीज को लिखकर इसकी डिमांड पैदा कर रहे हैं। 12 हजार की जरुरत- अगर, डॉक्टर प्रोटोकॉल के तहत इंजेक्शन लगाएं तो रोजाना 25 हजार नहीं, आधे यानी 12 हजार इंजेक्शन की जरुरत पड़ेगी। क्योंकि अस्पतालों में ऑक्सीजन, आईसीयू और वेंटिलेटर पर तकरीबन इतने ही मरीज भर्ती हैं। बाकी कोविड केयर सेंटर और होम आइसोलेशन में रह रहे हैं।
…और भी विकल्प- एम्स दिल्ली और आईसीएमआर ने रेमडेसिविर को अपने ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से बाहर करते हुए डेक्सामैथाजोन को शामिल किया है, जो सिर्फ 10 रुपए का इंजेक्शन है। डॉक्टरों को इन विकल्पों का भी इस्तेमाल करने की जरूरत है।