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यह है पूरा मामलाआरटीई का राशि निजी स्कूलों को स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा जारी की जाती है। वर्ष 2018 से 2020 शिक्षा सत्र का पैसा एकमुश्त स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने निजी स्कूलों को जारी किया गया। पैसा जारी करने से पहले स्कूल शिक्षा विभाग के संचालक ने पैसा मुख्यालय से जारी करने की बात कही थी और जिला कार्यालय से आरटीई की श्रेणी में आने वाले स्कूलो ंकी जानकारी मांगी थी। हर जिले में समिति बनी, लेकिन रायपुर जिले की समिति में शामिल कुछ कर्मचारियों ने स्कूलों के नाम के आगे गलत अकाउंट नंबर डाल दिया। वेरीफिकेशन के दौरान अधिकारी-कर्मचारियों की यह गलती पकड़ नहीं पाए और गलत स्कूलों व निजी व्यक्तियों के खाते में पैसा चला गया। तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी सेवानिवृत्त हो गए और उनकी जगह चार्ज लेने वाले अफसरों ने पूरी गडबड़ी का खुलासा किया।
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74 लाख रुपए किए गए थे ट्रांसफरविभागीय अधिकारियों के अनुसार स्कूलों को राशि जारी करने वाले समिति के कर्मचारियों व जिम्मेदारों ने गलत खातों में 74 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिया था। जब खातों की जांच की गई, तो कुछ खाते बंद हो चुके स्कूलों के व कुछ खाते पर्सनल व्यक्ति के नाम से होने का पता अफसरों को चला। वर्तमान जिला शिक्षा अधिकारी ने निर्देश दिया, तो खाताधारको ने स्कूल शिक्षा विभाग के खाते में पैसा वापस करवा दिया। खाताधारको का नंबर दूसरे स्कूल के नाम के आगे किस तरह से पहुंचा? इस मामले का जवाब विभागीय अधिकारियों के पास अब तक नहीं है। दोषियों पर कार्रवाई अब तक क्यों नहीं हुई? इस सवाल पर वरिष्ठ अधिकारियों से बात करने का जवाब जिम्मेदार दे रहे है।
– अशोक नारायण बंजारा, जिला शिक्षा अधिकारी, रायपुर।