मरीजों के इलाज के मामले में लापरवाही और अकर्मण्यता का रिकार्ड बनाने वाले मेडिकल कालेज प्रबंधन पर लगता है राज्य सरकार और सरकार के मुखिया के आदेश का भी कोई असर नहीं होता। तमाम तरह की शिकायतों के बाद राज्य सरकार ने यहां के अस्पताल अधीक्षक को हटाकर मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग के प्राध्यापक को नया अधीनस्थ बनाया गया है लेकिन तीन दिन बाद भी इस आदेश पर अमल नहीं हुआ है।
राजनांदगांव मेडिकल कालेज के अधीक्षक डॉ. प्रदीप बेक को लेकर यहां जमकर शिकायतें थीं। कोरोना जैसी महामारी के बाद भी उनकी कार्यप्रणाली सुस्त थी। इसे लेकर महापौर हेमा देशमुख ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ हुई वर्चुअल बैठक में शिकायत की थी। साथ ही कांग्रेस नेता निखिल द्विवेदी ने भी शिकायत की थी। मुख्यमंत्री ने इस मामले में कार्रवाई के संकेत उसी दिन दे दिए थे और इसके दूसरे दिन 23 अप्रैल शुक्रवार को अस्पताल अधीक्षक डॉ. बेक को हटाने का आदेश संचालनालय से आ गया। शासन ने बेक को जरुर हटा दिया है लेकिन कम संसाधन के साथ कोई भी अधिकारी काम नहीं कर सकता। अस्पताल में न ही पर्याप्त संख्या में बेड हैं और न ही ऑक्सीजन की व्यवस्था है। ऐसे में प्रबंधक के रुप में कोई भी आ जाए, परेशानी जारी रहेगी।
स्वास्थ्य संचालनालय से डॉ. प्रदीप बेक को अस्पताल अधीक्षक के पद से हटाने के आदेश में ही मेडिकल कालेज अस्पताल के सर्जरी विभाग के प्राध्यापक डॉ. संदीप चंद्राकर को अस्पताल अधीक्षक बनाए जाने का उल्लेख था लेकिन इस आदेश को तीन दिन बीत जाने के बाद भी इसका पालन नहीं किया गया है।
सुस्ती और लापरवाही का आरोप मौजूदा अस्पताल अधीक्षक डॉ. बेक पर लगाकर जरुर उन्हें हटा दिया गया है लेकिन तीन दिन बाद भी नए अधीक्षक के नहीं आने के कारण बेक यहां काम कर रहे हैं।