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ये बोले
आजम खां बोले कि मैं टूटा नहीं हूं। अगर मैं टूट गया होता तो यहां खड़ा नहीं होता। जिस दिन मैं टूट जाऊंगा या तुम मेरे टूटने का इंतेजाम कर दोगे उस दिन यहां लोग नजर नहीं आएंगे। यह सजावटें नहीं होंगी। उन्होंने शासन-प्रशासन की तरफ इशारा करते हुए लोगों से कहा कि आपकी आवाज आपके हलक से बाहर आने नहीं दी जाएगी और ऐसा सन्नाटा होगा जिसका तसव्वुर भी नहीं कर सकते। आजम ने कहा कि मैंने कल भी कहा था कि मुझे हिम्मत और ताकत दीजिए, मेरी खताओं का हिसाब करें। आजम ने भावुक होते हुए कहा कि ये सब इसलिए हो रहा है कि मैंने तुम्हारे बच्चों के लिए यूनिवर्सिटी खोली।
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मां पर भी दर्ज हो गया मुकदमा
यही नहीं भावुक होकर आजम ने कहा कि हमारी मां पर मुकदमा कायम है, हमारी बड़ी बहन को घसीटते हुए थाने ले गए। मेरे बुजुर्ग भाई पर 307 का मुकदमा है। मैं और अब्दुल्ला इलाहाबाद में थे जब हमपर 307 का मुकदमा दर्ज किया गया। आजम यह बोलते हुए रो पड़े कि यह गैरत हमें लेकर डूब गई कि मरने के बाद हमपर मुर्गियां, बकरियां चोरी करने का भी इल्जाम रहेगा।
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पहले भी रोये
यहां बता दें कि कुछ इसी तरह आजम तीन दिन पहले भी रो पड़े थे और उसके अगले दिन भी भावुक होते हुए बोले कि मेरा तीन महीने में वजन 22 किलो घट गया है।