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साेशल मीडिया पर वायरल हाे रहा सऊदी अरब का फतवा भारतीयों के लिए नहीं: देवबंदी

Highlights ईद की नमाज काे लेकर साेशल मीडिया पर वायरल हाे रहा अरब का फतवा देवबंदी आलिम ने कहा कि वायरल फतवा अरब के लिए भारत के लिए नहीं

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देवबन्द Deoband. ईद ( Eid ) से पहले सऊदी अरब से जारी फतवा ( fatwa ) सोशल मीडिया ( social media ) पर जोरो पर वायरल ( viral ) हो रहा है। फतवे में कहा गया है कि ईद की नमाज बिना कुतबा के भी अदा की जा सकती है।

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साेशल मीडिया पर वायरल हाे रहे इस फतवे काे लेकर सवाल जवाब का सिलसिला चल रहा है। इस फतवे से कन्फ्यूजन की स्थिति बन गई है। ऐसे में हमने देवबंदी आलिम से बात की ताे उन्हाेंने अपनी राय देते हुए साफ कर दिया कि साेशल मीडिया पर वायरल हाे रहा फतवा अरब के लिए हैं। दाेनाे मुल्कों के हालात और जलवायु अलग-अलग हैं। ऐसे में अब के फतवें काे भारत में शत प्रतिशत सही मानना उचित नहीं है।

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फतवों की नगरी देवबंद के इस्लामिक जानकारों का कहना है कि अरब और भारत अलग अलग देश हैं। अरब के फतवे में जाे कहा गया है अगर उस नजरिए देखा जाए ताे ऐसी जगह नमाज उस वक्त हो सकती है जहां इमाम ना हो और मसले में बहुत बारीकियां होती हैं। सऊदी अरब के उलेमाओं ने कोरोना वायरस को लेकर यह फतवा जारी किया गया है। देवबंदी उलेमा मुफ्ती तारिक कासमी ( अध्यक्ष जामिया हुसैनिया देवबंद ) ने फतवे पर राय देते हुए कहा कि सऊदी अरब से जारी किया गया फतवा वहां के नागरिकों के लिये मान्य है।

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भारतीय मुसलमानों के लिए इस्लामिक मोहतरीम इदारे औऱ मुफ़्ती की हिदायत है उन्ही के ऊपर अमल करना जरूरी है। जिस तरह भारत में रमजान महीनें में जुमे के दिन के सिलसिले में जो बातें कही गई थी। नामज के वक्त इमाम के अलावा कम से कम तीन बालिग आदमी का का होना जरूरी है। मुसलमानों काे जुमे की नमाज उस जगह पढ़ना चाहिए जहां किसी तरह की कोई रोकटोक ना हो। मसलन बाहरी कमरा या बैठक में ईद की नमाज पढ़ी जा सकती है।

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ईद और जुमा की नमाज में थोड़ा ही फर्क है। उलेमाओ का साफ कहना है जिस स्थान पर आप जुमा पढ़ते हैं उस जगह पर ईद की नमाज भी पढ़ी जा सकती है। जुमे का कुतबा जुमा पढ़ने से पहले दिया जाता है और जुमा का कुतबा जुमा के लिए शर्त है, बगैर कुतबे के जुमा की नमाज नही होगी। ईद का कुतबा ईद की नमाज के लिए शर्त नही बल्कि सुन्नत है।