इस घटनाक्रम के बाद क्षेत्र के लोगों में दहशत फैल गई। यह सूचना स्वास्थ्य विभाग को दी गई। लोगों का कहना है कि यह बड़ी लापरवाही है। इससे संस्मरण और तेजी से फैल सकता है। इस पूरे मामले में जांच बैठा दी गई है कि आखिर पीपीई किट कहां से आई थी और इन्हें खुले में क्यों फेंक दिया गया। स्थानीय लोगों ने बताया कि पीपीई किट के अलावा कुछ अन्य सामान भी फैला हुआ मिला है। इसमें ग्लब्स प्लास्टिक के बैग में लिपटे हुए थे जिन्हें कुत्ते नोच रहे थे। क्षेत्रीय लोगों ने कुत्तों को यहां से भगाया। उन्होंने बताया कि कुछ दवाओं के खाली रैपर भी मिले हैं। इससे साफ है कि किसी नर्सिंग होम द्वारा यह लापरवाही की गई होगी। खून से सनी हुई कॉटन भी मिली है।
इस घटना को लेकर क्षेत्रीय लोगों में काफी रोष है और उन्होंने एसडीएम राकेश कुमार से पूरे मामले की जांच कराने की मांग की है। प्राथमिक जांच के आधार पर देवबंद सीएचसी के प्रभारी डॉ इंद्राज ने आशंका जताई है कि रणखंडी रेलवे फाटक के निकट प्लाट में जो भी सामान पीपीई किट और खून से सनी हुई रुईयां मिली हैं वह स्वास्थ्य विभाग की नहीं है बल्कि मुजफ्फरनगर की एक प्राइवेट लैब की हैं। अब इस पूरे मामले में जांच बैठा दी गई है। एसडीएम राकेश कुमार सिंह ने भी लैब संचालक के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं।