वैज्ञानिकों का दावा: समय रहते ग्लोबल वार्मिंग को किया जा सकता है कम सैटेलाइट Risat 2b – राडार इमेजिंग सैटेलाइट Risat 2b रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट है।
– इसमें एक्टिव रीमोट सेंसर इंस्टॉल किया गया है, जो किसी भी मौसम को कैप्चर करके स्कैन कर सकता है। बारिश ( rain ) या दिन रात का इस पर कोई फर्क नहीं पड़ता।
– इसमें राडार का इस्तेमाल किया जाता है।
– यह देश के किसी भी कोने की तस्वीरें ले सकता है।
– अन्य सैटेलाइट से ली गई तस्वीर उतनी क्लियर नहीं होती, जितनी विश्लेषण करने के लिए चाहिए होती है। यह अपनी माइक्रोवेव तरंगों से 3D इमेज लेता है।
-इसमें Synthetic Upper Joseph का इस्तेमाल किया गया है।
– इसमें जो सैटेलाइट इस्तेमाल कि जा रही है वो 615 किलो ग्राम की है।
– पीएसएलवी 46 के माध्यम से इसे लॉन्च किया गया।
– इसमें कोर एलोन वेरिएंट का इस्तेमाल का किया गया है।
– इसको 557 किलोमीटर की एटीट्यूड पर ओरबीट करने के लिए छोड़ा गया है। जो चौबीस सौ घंटे साफ तस्वीरें दे पाएगा।
– इसके माध्यम से दुश्मनों की हर गतिविधि पर नजर रखी जा सकेगी।
– इसकी मदद से टैरेरिस्ट अटैक रोकने में भी मदद मिलेगी।
– इसके मायम से खासकर समुद्री मार्ग से आने वाले टैरेरिस्टों पर नजर रखी जा सकेगी।
– इससे पहले भारत के पास क्लीयर इमेजिंग सैटेलाइटस नहीं था, जो क्लाउड और फॉग होने के बाद भी लोकेशन की इमेंज दे सके।
– इसमें एक्टिव रीमोट सेंसर इंस्टॉल किया गया है, जो किसी भी मौसम को कैप्चर करके स्कैन कर सकता है। बारिश ( rain ) या दिन रात का इस पर कोई फर्क नहीं पड़ता।
– इसमें राडार का इस्तेमाल किया जाता है।
– यह देश के किसी भी कोने की तस्वीरें ले सकता है।
– अन्य सैटेलाइट से ली गई तस्वीर उतनी क्लियर नहीं होती, जितनी विश्लेषण करने के लिए चाहिए होती है। यह अपनी माइक्रोवेव तरंगों से 3D इमेज लेता है।
-इसमें Synthetic Upper Joseph का इस्तेमाल किया गया है।
– इसमें जो सैटेलाइट इस्तेमाल कि जा रही है वो 615 किलो ग्राम की है।
– पीएसएलवी 46 के माध्यम से इसे लॉन्च किया गया।
– इसमें कोर एलोन वेरिएंट का इस्तेमाल का किया गया है।
– इसको 557 किलोमीटर की एटीट्यूड पर ओरबीट करने के लिए छोड़ा गया है। जो चौबीस सौ घंटे साफ तस्वीरें दे पाएगा।
– इसके माध्यम से दुश्मनों की हर गतिविधि पर नजर रखी जा सकेगी।
– इसकी मदद से टैरेरिस्ट अटैक रोकने में भी मदद मिलेगी।
– इसके मायम से खासकर समुद्री मार्ग से आने वाले टैरेरिस्टों पर नजर रखी जा सकेगी।
– इससे पहले भारत के पास क्लीयर इमेजिंग सैटेलाइटस नहीं था, जो क्लाउड और फॉग होने के बाद भी लोकेशन की इमेंज दे सके।