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श्योपुर। मध्यप्रदेश की धरती पर 73 साल बाद चीतों की दहाड़ और चहल कदमी देखने को मिलेगी। लुप्त होने की कगार पर पहंच गया चीता (Cheetahs) अब मध्यप्रदेश में संरक्षित होगा। प्रदेश को 8 चीते मिलेंगे।
मध्यप्रदेश के मुख्य वन संरक्षक (वाइल्ड लाइफ) आलोक कुमार ने मीडिया को बताया कि दक्षिण अफ्रीका में लिप्त हो रहे वन्य जीवों के ट्रस्ट (इडब्ल्यूटी की ओर से 8 चीतों को देने का फैसला किया है। इनमें पाच नर चीता और तीन मादा दिए जा रहे हैं। इसके लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय (Union ministry of environment) ने भी पुष्टि कर दी है।
आलोक कुमार ने बताया कि भारत में कुऩो नेशनल पार्क (Kuno National Park) ऐसी जगह है जो चीतों के सबसे अच्छा आवास है। आलोक कुमार के मुताबिक उन्होंने सितंबर तक चीतों के लिए और अधिक उपयुक्त बनाने के लिए बाड़ लगाने समेत कुछ सुझाव भी दिए हैं।
श्योपुर के डिविजनल फारेस्ट अधिकारी (Divisional forest officer, Sheopur) पीके वर्मा के मुताबिक यहां चीतों के लिए यहां एक आदर्श घास का मैदान और शिकार का पर्याप्त आधार है। हमने उनके स्थानांतरण की तैयारियां शुरू भी कर दी है।
सबसे अनुकूल है यह अभ्यारण
सुप्रीम कोर्ट की साधिकार समिति की उप समिति ने मध्य प्रदेश के साथ झारखंड और राजस्थान में भी चीता को बसाने की संभावनाएं तलाश कर रही थी, लेकिन मध्यप्रदेश का कूनो नेशनल पार्क सबसे अच्छी जगह पाई गई है। वैज्ञानिकों ने भी कूनो अभ्यारण की जलवायु और भौगोलिक स्थिति को चीतों के लिए सबसे अनुकूल बताया है।
73 साल बाद नजर आएंगे चीते
भारत में 73 साल पहले तक चीते हुआ करते थे। इतने सालों बाद फिर से चीतों की वापसी हो रही है। अब तक भारत से इन्हें लुप्तप्रायः मान लिया गया था। वर्ष 1947 में ली गई सरगुजा महाराज रामानुशरण सिंह के साथ चीते की तस्वीर को अंतिम मान लिया गया था। वर्ष 1952 में भारत सरकार ने चीते को विलुप्त जीव घोषित कर दिया गया था। गुजरात के गिर अभयारण्य से बब्बर शेर न मिलने पर भारत सरकार ने वर्ष 2010 में कूनो में चीता बसाने की योजना बनाई थी।
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Published on:
25 May 2021 11:30 am
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