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सांसद आदर्श गांव की हकीकत, बदहाल है सड़कें, खुले में शौच जाते हैं लोग

locationगोरखपुरPublished: Oct 11, 2017 07:57:19 am

Submitted by:

Akhilesh Tripathi

2014 में भारतभारी को सांसद आदर्श गांव घोषित किया गया था, अभी तक सांसद निधि से कार्य कराए जाने के बारे में भी किसी भी जिम्मेदार को जानकारी नहीं है।

Saansad Adarsh gram Bharatbhari

सांसद आदर्श गांव भारतभारी

सूरज सिंह की रिपोर्ट

सिद्धार्थनगर. पीएम नरेंद्र मोदी ने देश भर के गांवों को आदर्श गांव बनाने का सपना दिखाया। इन गांवों के विकास के बड़े-बड़े वादे और दावे किए गए, मगर विकास आज भी आदर्श गांव के लोगों के लिए एक सपना ही है। जिस उम्मीद के साथ डुमरियागंज क्षेत्र के ऐतिहासिक स्थल भारतभारी गांव को सांसद आदर्श गांव के रूप में चयनित किया गया था वह उम्मीद अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। गांव की तस्वीर बदलना तो दूर अभी तक गांव को जाने वाली सड़क को भी दुरूस्त नहीं कराया जा सका है। न ही पीएम के ड्रीम स्वच्छता अभियान ही यहां पर परवान चढ़ पाया। गांव के सभी घरों में शौचालय नहीं होने के कारण अभी तक यह गांव भी खुले में शौच मुक्त घोषित नहीं हो सका है।
जब वर्ष 2014 में भारतभारी को सांसद आदर्श गांव घोषित किया गया तथा वहां पर अधिकारियों के लगने वाले जमावडे़ से ग्रामीणों को लगा कि कुछ ही दिनों में गांव की पूरी तस्वीर ही बदल जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। समय के साथ गांव की तस्वीर बदलने को कौन कहें और बदहाल होने लगा है। अभी तक गांव को जोड़ने वाली सड़क की दशा नहीं बदल सकी है विद्यालय की चाहरदीवारी नहीं बन सकी है। पात्रों को आवास नहीं मिल सका है। ऐतिहासिक तालाब का जीर्णोद्धार भी नहीं हो सका है। गांव में मिनी स्टेडियम बनना है जिसके संबंध में अभी तक कोई धन आना तो दूर पहल तक नहीं हो सकी है। गांव को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए अभी तक महत एक सौ शौचालय निर्माण का ही पैसा मिल सका है। ग्रामीणों की सुविधा के लिए सहज जन सेवा केन्द्र की अभी तक नहीं बन सका है। तीन वर्ष से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी अभी तक सांसद निधि से कार्य कराए जाने के बारे में भी किसी भी जिम्मेदार को जानकारी नहीं है। आवास के इंतजार में तो कई पात्रों की आंखें बूढ़ी हो रही है लेकिन अभी तक आवास मिलने की भी कोई गुंजाइश नहीं दिख रही है। तीन वर्ष से अधिक का समय बीतने के बाद गांव की तस्वीर बदलने को लेकर ग्रामीणों की उम्मीद टूटने लगी है। गांव की पड़ताल के दौरान ग्रामीणों का भी दर्द छलक कर सामने आया।
अभी तक नहीं मिल सका आवास
गांव की कल्पा व किसवालती का खपरैल का मकान काफी पहले बारिश में ढह गया है, तब से सभी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत छत की उम्मीद लगाए बैठी है। जब अधिकारियों ने जिनके पास मकान नहीं है उनके बारे में जानकारी ली तो सभी को खुशी हुई कि अब उन्हें जल्द ही मकान मिल जाएगा। लेकिन तीन वर्ष से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी अभी तक खुले आसमान के नीचे जीवन काट रहे लोगों को आवास नहीं मिल सका है। गांव की कल्पा व किसलावती उनमें से एक है। जो काफी दिनों से आवास मिलने की इंतजार में दिन काट रही है लेकिन कहीं पर कोई भी उनका दर्द नहीं सुन रहा है। अगर यह कहा जाय कि गांव के लोग सड़क, बिजली, पानी आवास जैसी बुनियादी सुविधाओं से महरूम है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
जीर्णोद्धार की बाट जोह रहा ऐतिहासिक तालाब
भारतभारी में स्थित तालाब भी जीर्णोद्धार की बाट जोह रहा है। पर्यटन स्थल के रूप में जाने जाने वाले गांव के ऐतिहासिक तालाब के बारे में बताया जाता है कि यह तालाब हनुमान के पर्वत लेकर गिरने के कारण बना था। यहां पर स्थित शिवलिंग की स्थापना भरत द्वारा किया गया था। किवदंतियों की माने तो जब हनुमान पर्वत लेकर जा रहे थे तब भरत ने उन्हें देखा तो लगा कि कोई दुश्मन जा रहा है जो भाई को नुकसान पहुंचाए जिसके बाद उन्होंने बाण मारकर हनुमान को वहां पर गिराया था जिससे वहां पर बड़ा तालाब बन गया है। इतना ही नहीं यहां पर खुदाई के दौरान बौद्धकाल के भी प्रमाण मिले हैं। जिनका
सरंक्षण पुरात्व व पर्यटन विभाग द्वारा किया जा रहा है। जबकि तालाब के जीर्णोद्धार के लिए स्टीमेट भी बनाया गया था लेकिन अभी तक जीर्णोद्धार को लेकर काई कार्रवाई शुरू नहीं हो सकी है।
जिले का पर्यटन स्थल है भारतभारी
जिले के सांसद ने जिले आदर्श गांव बनाने की ठानी है वह पहले से ही पर्यटन विभाग के नक्शे में जिल के पर्यटन स्थल के रूप में दर्ज है। यहां पर खुदाई के दौरान मिले अवशेषों के आधार पर इसके बौद्ध काल व रामायण काल का बताया जाता है। जिसके आधार पर ही इसे जिले के पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है। पर्यटन विभाग द्वारा यहां के विकास के लिए कई योजनाएं बनाई गई जिसमें से कई योजनाओं को मूर्त रूप देकर स्थल का जीर्णोद्धार भी कराया जा चुका है। अभी तक कई योजनाएं अधर में लटकी हुई हैं। भारत भारी में कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर भव्य मेला लगता है जिसका चलन आदिकाल है।
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