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एफएसएल की ढिलाई पर सरकार को निर्देश
न्यायालय ने पांच दिन के भरसक प्रयास के बावजूद विधि विज्ञान प्रयोगशाला की ओर से एफएसएल और डीएनए रिपोर्ट पेश नहीं करने पर राज्य सरकार को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। न्यायालय ने कहा है कि चार वर्षीय अबोध बालिका से बलात्कार के मामले में पुलिस के जांच अधिकारी ने शीघ्र अनुसंधान पूरा कर छह दिन के भीतर चार फरवरी को न्यायालय में आरोप पत्र पेश कर दिया। न्यायालय ने पांच फरवरी को अभियुक्त को आरोप सुनाकर प्रकरण का विचारण प्रारंभ कर दिया। इसके चार दिनों में 8 फरवरी को समस्त साक्ष्य लेखबद्ध कर दी गई।
पुलिस अधीक्षक ने मामले को केस ऑफिसर स्कीम में शामिल किया। विशिष्ट लोक अभियोजक शिवरतन शर्मा एवं जिला सेवा प्राधिकरण की ओर से नियुक्त अभिवक्ता गंगाधर सैनी ने प्रकरण में त्वरित पैरवी की। ऐसे में पांच कार्यदिवसों में पूर्ण होना संभव हुआ। मामले के जांच अधिकारी खाटूथाना प्रभारी सुरेन्द्र कुमार ने न्यायालय को बताया कि मामले में मेडिकल बोर्ड व उसकी ओर से लिए गए सैम्पल एफएसएल व डीएनए जांच के लिए भिजवाए गए थे। इन सैम्पलों को 4 फरवरी को विधि विज्ञान प्रयोगशाला में जमा करवा दिया गया था।
जांच रिपोर्ट के लिए जांच अधिकारी ने काफी प्रयास किए। इसके साथ ही पुलिस अधीक्षक और विशिष्ट लोक अभियोजक के कई बार निवेदन और न्यायालय की ओर से निर्देशित किए जाने के बावजूद पांच दिन में न्यायालय में डीएनए रिपोर्ट पेश नहीं की जा सकी। ऐसे में राज्य सरकार को यह लिखा जाना अपेक्षित है कि कल्याणकारी राज्य होने के नाते सरकार का यह कर्तव्य है कि वह अपने विभाग के अधिकारियों को निर्देशित करे कि मासम अबोध, बालक बालिकाओं के साथ घटित इस तरह के कृत्य घृणित अपराधों में विधि विज्ञान प्रयोगशाला के संबंधित अधिकारी अधिक गंभीरता दर्शित करें एवं अविलम्ब एफएसएल व डीएनए रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष पेश की जाए।