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बलात्कारी को सजा देने के बाद कोर्ट ने बताई रेप की ये बड़ी वजह, सरकार को भी दी हिदायत

locationसीकरPublished: Feb 12, 2019 07:26:07 pm

Submitted by:

Vinod Chauhan

खाटू में चार वर्षीय बालिका से बलात्कार का फैसला एक बड़ी नजीर है। पांच दिन में जीवन भर जेल में सजा के पॉक्सो कोर्ट के फैसले में सरकार की ढिलाई पर वार करने के साथ गुजरात व बिहार आदि राज्यों में शराब बंदी के निर्णय को देखकर प्रदेश में शराब बंदी के लिए राज्य सरकार को विवेक से निर्णय लेने की सरकार को सलाह दी गई है।

खाटू में चार वर्षीय बालिका से बलात्कार का फैसला एक बड़ी नजीर है। पांच दिन में जीवन भर जेल में सजा के पॉक्सो कोर्ट के फैसले में सरकार की ढिलाई पर वार करने के साथ गुजरात व बिहार आदि राज्यों में शराब बंदी के निर्णय को देखकर प्रदेश में शराब बंदी के लिए राज्य सरकार को विवेक से निर्णय लेने की सरकार को सलाह दी गई है।

बलात्कारी को सजा देने के बाद कोर्ट ने बताई रेप की ये बड़ी वजह, सरकार को भी दी हिदायत

सीकर.

खाटू में चार वर्षीय बालिका से बलात्कार का फैसला एक बड़ी नजीर है। पांच दिन में जीवन भर जेल में सजा के पॉक्सो कोर्ट के फैसले में सरकार की ढिलाई पर वार करने के साथ गुजरात व बिहार आदि राज्यों में शराब बंदी के निर्णय को देखकर प्रदेश में शराब बंदी के लिए राज्य सरकार को विवेक से निर्णय लेने की सरकार को सलाह दी गई है। साथ ही दुर्गा सप्तशती के दुर्गाष्ठोत्तर शतनाम के श्लोको के माध्यम से नारी की महिमा बताई गई है। न्यायालय ने फैसले में महिलाओं व बालिकाओं पर बढ़ती यौन हिंसा का प्रमुख कारण शराब को माना है। फैसले में न्यायाधीश अनिल कौशिक ने कहा है कि चार वर्षीय बालिका के साथ बलात्कार करने वाला आरोपित वारदात के समय शराब के नशे में था। यह तथ्य जांच से साबित है। समाचार पत्रों व अन्य माध्यमों से सामने आता रहता है कि समाज में वर्तमान में बढ़ती अपराध दर के पीछे शराब पीने की कुरीति काफी हद तक जिम्मेदार है। भारतीय लोकतंत्र में राज्य को एक कल्याणकारी राज्य की संज्ञा दी गई है। राज्य का यह दायित्व है कि वह अपने नागरिकों को अपराध मुक्त, भयमुक्त तथा हिंसा से रहित उच्च गुणवत्तापूर्ण जीवन प्रदान करे।शराब एक ऐसी बीमारी की जड़ है, जिसने कई परिवारों को तबाह कर दिया। कई औरतों एवं बच्चों का जीवन बर्बाद कर दिया।


एफएसएल की ढिलाई पर सरकार को निर्देश

न्यायालय ने पांच दिन के भरसक प्रयास के बावजूद विधि विज्ञान प्रयोगशाला की ओर से एफएसएल और डीएनए रिपोर्ट पेश नहीं करने पर राज्य सरकार को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। न्यायालय ने कहा है कि चार वर्षीय अबोध बालिका से बलात्कार के मामले में पुलिस के जांच अधिकारी ने शीघ्र अनुसंधान पूरा कर छह दिन के भीतर चार फरवरी को न्यायालय में आरोप पत्र पेश कर दिया। न्यायालय ने पांच फरवरी को अभियुक्त को आरोप सुनाकर प्रकरण का विचारण प्रारंभ कर दिया। इसके चार दिनों में 8 फरवरी को समस्त साक्ष्य लेखबद्ध कर दी गई।
पुलिस अधीक्षक ने मामले को केस ऑफिसर स्कीम में शामिल किया। विशिष्ट लोक अभियोजक शिवरतन शर्मा एवं जिला सेवा प्राधिकरण की ओर से नियुक्त अभिवक्ता गंगाधर सैनी ने प्रकरण में त्वरित पैरवी की। ऐसे में पांच कार्यदिवसों में पूर्ण होना संभव हुआ। मामले के जांच अधिकारी खाटूथाना प्रभारी सुरेन्द्र कुमार ने न्यायालय को बताया कि मामले में मेडिकल बोर्ड व उसकी ओर से लिए गए सैम्पल एफएसएल व डीएनए जांच के लिए भिजवाए गए थे। इन सैम्पलों को 4 फरवरी को विधि विज्ञान प्रयोगशाला में जमा करवा दिया गया था।
जांच रिपोर्ट के लिए जांच अधिकारी ने काफी प्रयास किए। इसके साथ ही पुलिस अधीक्षक और विशिष्ट लोक अभियोजक के कई बार निवेदन और न्यायालय की ओर से निर्देशित किए जाने के बावजूद पांच दिन में न्यायालय में डीएनए रिपोर्ट पेश नहीं की जा सकी। ऐसे में राज्य सरकार को यह लिखा जाना अपेक्षित है कि कल्याणकारी राज्य होने के नाते सरकार का यह कर्तव्य है कि वह अपने विभाग के अधिकारियों को निर्देशित करे कि मासम अबोध, बालक बालिकाओं के साथ घटित इस तरह के कृत्य घृणित अपराधों में विधि विज्ञान प्रयोगशाला के संबंधित अधिकारी अधिक गंभीरता दर्शित करें एवं अविलम्ब एफएसएल व डीएनए रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष पेश की जाए।

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