
प्राकृतिक आपदा राहत में भ्रष्टाचार (Photo source- Patrika)
CG News: प्राकृतिक आपदा में मृतक परिवारों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता अनुदान राशि के प्रकरण में छिंदगढ़ ब्लॉक में बड़े पैमाने पर वसूली की शिकायत सामने आई है। आरोप है कि तहसीलदार और थाना प्रभारी अपने पद का दुरुपयोग कर पीड़ित परिवारों से अवैध राशि वसूल रहे हैं।
पीड़ित परिवारों ने बताया कि शासन द्वारा प्राकृतिक आपदा में मौत पर 4 लाख रुपए की आर्थिक मदद प्रदान की जाती है, लेकिन छिंदगढ़ तहसीलदार प्रत्येक प्रकरण में 20 हजार से 50 हजार रुपए और थाना प्रभारी 35 हजार रुपए तक वसूली करते हैं। इसके अलावा, पटवारी और अन्य कार्यालय कर्मचारियों के माध्यम से भी पैसे की मांग की जाती है। वसूली से तंग आकर पीड़ित परिवारों ने सर्व आदिवासी समाज को इस मामले की जानकारी दी।
समाज के प्रतिनिधिमंडल ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए तहसीलदार, थाना प्रभारी और संबंधित पटवारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि पांच दिवस के भीतर कार्रवाई नहीं हुई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। इस दौरान सर्व आदिवासी समाज के जिला अध्यक्ष उमेश सुंडाम, वेको हुंगा, सुरेश कवासी और पीड़ित परिवार के लोग बड़ी संख्या में मौजूद थे।
CG News: सर्व आदिवासी समाज ने बताया कि कार्यालयों में कार्यरत लिपिकों के माध्यम से ग्रामीणों से अतिरिक्त पैसे वसूले जाते हैं। इन पैसों के बिना योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है और जमीन पट्टा, नामांतरण, जाति-निवास प्रमाण-पत्र, मुआवजा आदि कार्यों में भी बाधा आती है। समाज ने आरोप लगाया कि इस अवैध वसूली में तहसीलदार छिंदगढ़, थाना प्रभारी तोंगपाल और गादीरास शामिल हैं। इसके अलावा तहसील कार्यालय के लिपिक नीतिन जामनिक और गोरली पटवारी कुमारी तिरपति राणा भी इस प्रथा में सक्रिय हैं। शिकायत के अनुसार, यदि ग्रामीण निर्धारित राशि नहीं देते हैं तो उनके दस्तावेजों की प्रक्रिया रोक दी जाती है।
कोया-कुटमा ब्लॉक अध्यक्ष विष्णु कवासी ने कहा कि जिन- जिन लोगों से पैसा लिया गया, उनकी पूरी सूची कलेक्टर को सौंप दी गई है। पांच दिवस के भीतर कार्रवाई नहीं हुई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
CG News: सर्व आदिवासी समाज के छिंदगढ़ ब्लॉक अध्यक्ष आयता राम मंडावी ने बताया कि’’प्राकृतिक आपदा में मृतक परिवारों को मिलने वाली राशि को अपने व्यवसाय की तरह वसूली के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। तहसीलदार 20 हजार रुपए और थाना प्रभारी 35 हजार रुपए लेते हैं, साथ ही कार्यालय के अन्य कर्मचारियों को भी हिस्सा दिया जाता है। ऐसे में शासन की मदद सीधे पीड़ित तक नहीं पहुंच रही। हमारी मांग है कि सभी दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए
आदिवासी समाज ने अधिकारियों के तत्काल हटाए जाने और इस मामले की कड़ी जांच करने की मांग की है। समाज का कहना है कि इन प्रथाओं के कारण किसान और निर्धन वर्ग शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं और उन्हें आर्थिक और प्रशासनिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
Updated on:
14 Oct 2025 11:37 am
Published on:
14 Oct 2025 11:36 am
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