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पनीर व दही वड़ा खाकर बीमार पड़े नवोदय विद्यालय के 17 स्टूडेंट्स ने दी बोर्ड की परीक्षा, डॉक्टरों ने बढ़ाया हौसला

5 शारीरिक रूप से हो चुके थे कमजोर तो सीएमओ ने बढ़ाया मनोबल, 8 विद्यार्थी अभी भी अस्पताल में भर्ती

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Sick students

Sick students of Navodaya Vidyalya

सूरजपुर. जिले के बसदेई स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय में होली पर्व के दौरान विषाक्त भोजन खाने से 270 बच्चों की हालत बिगड़ जाने के बाद तीसरे दिन स्थिति सामान्य हो पाई। जिला चिकित्सालय में मात्र 8 बच्चों को स्वास्थ्यगत कमजोरी के कारण भर्ती रखा गया है, शेष सभी प्रभावित बच्चों की स्वास्थ्य में सुधार होने पर विद्यालय में वापसी हो गई है।

इधर 17 ऐसे छात्र-छात्राएं भी बीमार पड़े थे जिन्हें 12वीं सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा देनी थी। 12 विद्यार्थी तो हालत सामान्य होने पर परीक्षा में बैठ गए, लेकिन 5 विद्यार्थी पूरी तरह से फिट नहीं थे। जब सीएमएचओ ने उनका हौसला बढ़ाया तो वे भी परीक्षा में शामिल हो गए।


गौरतलब है कि होली पर्व पर विद्यालय में विशेष भोजन तैयार किया गया था। इसके तहत मटर पनीर की सब्जी, दही बड़ा और गुलाब जामुन भी बनाये गये थे जिसका सेवन विद्यालयीन छात्र-छात्राओं ने दो टाइम किया था।

भोजन के बाद रात करीब 3 बजे से ही कई बच्चों को उल्टीदस्त और तेज बुखार की शिकायत हुई और कुछ देर बाद तो प्रभावित बच्चों की संख्या बढ़कर 270 तक पहुंच गई थी। जिले की स्वास्थ्य टीम की सक्रियता से दो दिन में ही स्थिति सामान्य हो गई।


शारीरिक कमजोरी की शिकायत
उल्टी-दस्त और बुखार से पीडि़त बच्चों की स्थिति वैसे तो पुरी तरह से सामान्य हो गई है, विद्यालय के 8 विद्यार्थियों को ही जिला चिकित्सालय में रखा गया है। भर्ती किये गये इन 8 बच्चों को बुखार पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाया है, शारीरिक कमजोरी की शिकायत है। प्राचार्य डीके साहू ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि मंगलवार को इन्हें भी छुट्टी मिल जायेगी।


प्रभावित बच्चों ने दी सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा
सोमवार को 12 वीं की सीबीएसई बोर्ड में उन प्रभावित बच्चों ने भी भाग लिया जो उल्टी-दस्त और बुखार से पीडि़त थे। कक्षा बारहवीं के कुल 17 बच्चों की तबीयत बिगड़ी थी, जिनमें से 5 बच्चों में कमजोरी ज्यादा होने के कारण ऐसा लग रहा था कि वे शायद परीक्षा में शामिल नहीं हो पायेंगे।

लेकिन विद्यालय प्रबंधन के आग्रह पर जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एसपी वैश्य एवं सिविल सर्जन डॉ शशि तिर्की ने प्रभावित छात्र-छात्राओं का मनोबल बढ़ाया और एहतियात के तौर पर मेडिकल टीम की तैनाती की बात कही तो उन प्रभावित छात्र-छात्राओं ने भी पूरे विश्वास के साथ परीक्षा में शामिल होकर प्रश्न-पत्र हल किया।