
mp news: मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ में एक दिल को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक बेटे ने अपने पिता की चिता को आग देने से मना कर दिया। 23 घंटे तक पिता की अर्थी घर के आंगन में रखी रही लेकिन बेटे का दिल नहीं पसीजा। पिता ने पैतृक जायदाद बेटी के नाम कर दी थी इस बात से बेटा नाराज था और उसका कहना था जिसे जमीन दी है उससे ही चिता को अग्नि दिला दो।
बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया वाली लाइनों को चरितार्थ करने वाला ये मामला बल्देवगढ़ थाना के तालमऊ गांव का है। यहां रहने वाले चिन्ना अहिवार की 70 साल की उम्र में मृत्यु हो गई। चिन्ना अपने बेटे राजू के व्यवहार व आचरण से परेशान था। जब वो बीमार हुआ तब भी राजू ने उसकी देखभाल नहीं की और बेटी सुनीता ही उसका पूरा ख्याल रखती थी। इसके कारण पिता चिन्ना ने अपनी दो एकड़ पैतृक जमीन बेटी सुनीता को दे दी थी और रजिस्ट्री करा दी थी। इस बात से राजू नाराज हो गया और पिता से विवाद करता रहता था। पिता चिन्ना की मौत के बाद भी राजू का गुस्सा शांत नहीं हुआ और उसने पिता का अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया।
पिता चिन्ना की मौत शुक्रवार की शाम 4 बजे हो गई थी इसकी सूचना मिलते ही सभी रिश्तेदार और गांव के लोग अंतिम संस्कार के लिए चिन्ना के घर पहुंच गए, लेकिन उसके बेटे राजू ने अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया। उसका कहना था जिसे जमीन दी है उसी से अंतिम संस्कार करा लो, मेरा उनसे कोई नाता नहीं। परिजनों के साथ ही रिश्तेदार और मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारी भी राजू को समझाते रहे, लेकिन वह नहीं माना। ऐसे में पिता की पार्थिव देह पूरे 23 घंटे तक घर में रखी रही।
राजू के जिद पर अड़े रहने से पुलिस ने उसकी बहन सुनीता से बात की और उसे समझाया। पिता की मौत से सुनीता का रो-रोकर बुरा हाल था लेकिन उसने स्थिति को समझा और आधी यानी एक एकड़ जमीन भाई को देने पर हामी भर दी। लेकिन राजू मौखिक आश्वासन से भी सहमत नहीं हुआ उसने तहसील से पहले इसकी पक्की लिखा पढ़ी कराई और फिर तब कहीं जाकर शनिवार को दोपहर 3 बजे राजू ने पिता की चिता को मुखाग्नि दी और उनका अंतिम संस्कार हो पाया।
Updated on:
19 Apr 2025 07:03 pm
Published on:
19 Apr 2025 06:27 pm
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