
डोडे की मादकता ऐसी कि तस्करों की पौ बारह
भुवनेश पण्ड्या
उदयपुर. डोडे का परिवहन बदस्तूर जारी है लेकिन आबकारी विभाग माकूल कार्रवाई नहीं कर पाया है। दूसरी ओर नशे की गिरफ्त में जो व्यसनी है, वे भी शुरुआत में नया सवेरा कार्यक्रम से जुड़े लेकिन बाद में इनकी संख्या भी घटती गई। खास बात यह है कि जो व्यसनी थे उसमें से परमिटधारी तो गिने-चुने थे, जबकि गैर परमिटधारियों की संख्या काफी थी।
लगाए थे शिविर
प्रदेश में 1 अप्रेल, 2016 से डोडा-पोस्त मानव उपयोग के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया। प्रदेश में डोडा-पोस्त व्यसनियों को व्यसन मुक्त करने के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के नया सवेरा कार्यक्रम के तहत आबकारी विभाग के सहयोग से वर्ष 2014-15 में 205, 2015-16 में 548, 2016-17 में 214 एवं 2017-18 में 50 कैम्प लगाए गए थे। वर्ष 2018-19 में विभाग ने 452 मामले पकड़े हैं, लेकिन माकूल प्रकरण दर्ज नहीं हो पाए हैं।
ये नियम, ये व्यवस्था
डोडा- पोस्त का उत्पादन, भण्डारण एवं निस्तारण
डोडा-पोस्त का उत्पादन नारकोटिक्स विभाग की ओर से पट्टाधारी व्यक्ति ही कर सकता है। पट्टाधारी काश्तकार उत्पादित डोडा-चूरा का निस्तारण अनिवार्य रूप से विभाग की ओर से अधिकृत अनुज्ञाधारी को करेगा अन्यथा उसे अवशेष माल को जलाकर नष्ट करना होता है। अति विशिष्ट परिस्थितियों में इस अवधि को अधिकतम 30 दिन तक बढ़ाया जा सकता है।
अफ ीम एवं डोडा पोस्त का नियन्त्रित उपभोग
अफीम, डोडा-पोस्त प्रतिबंधित मादक पदार्थ है। अफ ीम के नये व्यसनी पंजीकृत नहीं किए जाते हैं। सरकार की ओर से डोडा-पोस्त के अभ्यस्त उपभोक्ताओं का ध्यान रखते हुए डोडा-पोस्त के उपभोक्ता परमिट जारी करने के लिए जिला स्तरीय समितियों का गठन किया गया था, इसमें जिला कलक्टर या उनके प्रतिनिधि, सम्बन्धित जिला आबकारी अधिकारी, राजकीय चिकित्सा अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि शामिल थे। इस समिति की ओर से व्यक्ति विशेष की डोडा पोस्त की आवश्यकता का आकलन चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर कर, जिला आबकारी अधिकारी की ओर से उपभोक्ता को जो परमिट जारी होते हैं, उनका प्रतिवर्ष नवीनीकरण होता है।
मादकता का व्यवसाय मौलिक अधिकारी नहीं
मादक पदार्थों के उत्पादन, भण्डारण, परिवहन, विक्रय एवं बेचान की प्रक्रिया पर राज्य की ओर से उसकी नियमन सम्बन्धी शक्तियों के अन्तर्गत नियन्त्रण किया जाता है। ये शक्तियां राज्य सरकार को भारतीय संविधान की 7वीं अनुसूची की द्वितीय सूची (राज्य सूची) की बिन्दू संख्या 8 एवं 51 में मादक पदार्था के उत्पादन, अधिपत्य, परिवहन, क्रय एवं विक्रय तथा इन पर आबकारी ड्यूटी आरोपित करने के बारे में विस्तृत प्रावधानों के अन्तर्गत प्राप्त है। आबकारी विभाग का मुख्य उद्देश्य मादक पदार्थों के उत्पादन एवं उपभोग को नियन्त्रित करना है ताकि गुणवत्तायुक्त मानव उपयोगी पदार्थों का उत्पादन होने के साथ-साथ इस प्रक्रिया से समुचित राजस्व अर्जित हो। घातक एवं अवैध मादक पदार्थ पर कठोरतम नियन्त्रण हो सके।
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प्रदेश के सभी जिलों के हाल
वर्ष- परमिटधारी व्यसनी -गैर परमिटधारी व्यसनी- शिविरों की संख्या
2014-15-1418-21484-205
2015-16-16779-34525-548
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वर्ष- लाभान्वित व्यसनी- शिविर
2016,17- 16655-214
2017,18-2769-44
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वर्ष 2014 से 2019 तक सरकार की ओर से राजस्थान में डोडा-चूरा तस्करी व अवैध परिवहन व भंडारण के लिए दर्ज प्रकरण
वर्ष- दर्ज प्रकरण
2014-15- 07
2015-16- 04
2016-17-02
2017-18- 01
्र2018-19,-03
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पांच वर्ष में डोडा परिवहन को लेकर केवल 17 कार्रवाई की गई है। इनमें से भीलवाड़ा जिले में 02, करौली में 1, चित्तौडगढ़़ में 2, जोधपुर में 06, बाड़मेर में 1, जालोर में 1 और बीकानेर में दो सहित दो अन्य मामले पकड़े हैं।
होते हैं प्रकरण दर्ज
ऐसा तो हो ही नहीं सकता कि मादक पदार्थों के परिवहन में यदि किसी को पकड़ा जाए और उसका मामला दर्ज नहीं हो, जो-जो परिवहन के मामले पकड़े जाते हैं, उसके प्रकरण तो दर्ज होते ही हैं।
हेमेन्द्र नागर, जिला आबकारी अधिकारीडोडे की 'मादकताÓ ऐसी कि तस्करों की पौ बारह
तस्करी धड़ल्ले से जारी, विभाग नहीं कर पा रहा माकूल कार्रवाई
- नया सवेरा में भी नियंत्रित नहीं हो पाई नशेडिय़ों की संख्या
उदयपुर. डोडे का परिवहन बदस्तूर जारी है लेकिन आबकारी विभाग माकूल कार्रवाई नहीं कर पाया है। दूसरी ओर नशे की गिरफ्त में जो व्यसनी है, वे भी शुरुआत में नया सवेरा कार्यक्रम से जुड़े लेकिन बाद में इनकी संख्या भी घटती गई। खास बात यह है कि जो व्यसनी थे उसमें से परमिटधारी तो गिने-चुने थे, जबकि गैर परमिटधारियों की संख्या काफी थी।
लगाए थे शिविर
प्रदेश में 1 अप्रेल, 2016 से डोडा-पोस्त मानव उपयोग के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया। प्रदेश में डोडा-पोस्त व्यसनियों को व्यसन मुक्त करने के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के नया सवेरा कार्यक्रम के तहत आबकारी विभाग के सहयोग से वर्ष 2014-15 में 205, 2015-16 में 548, 2016-17 में 214 एवं 2017-18 में 50 कैम्प लगाए गए थे। वर्ष 2018-19 में विभाग ने 452 मामले पकड़े हैं, लेकिन माकूल प्रकरण दर्ज नहीं हो पाए हैं।
ये नियम, ये व्यवस्था
डोडा- पोस्त का उत्पादन, भण्डारण एवं निस्तारण
डोडा-पोस्त का उत्पादन नारकोटिक्स विभाग की ओर से पट्टाधारी व्यक्ति ही कर सकता है। पट्टाधारी काश्तकार उत्पादित डोडा-चूरा का निस्तारण अनिवार्य रूप से विभाग की ओर से अधिकृत अनुज्ञाधारी को करेगा अन्यथा उसे अवशेष माल को जलाकर नष्ट करना होता है। अति विशिष्ट परिस्थितियों में इस अवधि को अधिकतम 30 दिन तक बढ़ाया जा सकता है।
अफ ीम एवं डोडा पोस्त का नियन्त्रित उपभोग
अफीम, डोडा-पोस्त प्रतिबंधित मादक पदार्थ है। अफ ीम के नये व्यसनी पंजीकृत नहीं किए जाते हैं। सरकार की ओर से डोडा-पोस्त के अभ्यस्त उपभोक्ताओं का ध्यान रखते हुए डोडा-पोस्त के उपभोक्ता परमिट जारी करने के लिए जिला स्तरीय समितियों का गठन किया गया था, इसमें जिला कलक्टर या उनके प्रतिनिधि, सम्बन्धित जिला आबकारी अधिकारी, राजकीय चिकित्सा अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि शामिल थे। इस समिति की ओर से व्यक्ति विशेष की डोडा पोस्त की आवश्यकता का आकलन चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर कर, जिला आबकारी अधिकारी की ओर से उपभोक्ता को जो परमिट जारी होते हैं, उनका प्रतिवर्ष नवीनीकरण होता है।
मादकता का व्यवसाय मौलिक अधिकारी नहीं
मादक पदार्थों के उत्पादन, भण्डारण, परिवहन, विक्रय एवं बेचान की प्रक्रिया पर राज्य की ओर से उसकी नियमन सम्बन्धी शक्तियों के अन्तर्गत नियन्त्रण किया जाता है। ये शक्तियां राज्य सरकार को भारतीय संविधान की 7वीं अनुसूची की द्वितीय सूची (राज्य सूची) की बिन्दू संख्या 8 एवं 51 में मादक पदार्था के उत्पादन, अधिपत्य, परिवहन, क्रय एवं विक्रय तथा इन पर आबकारी ड्यूटी आरोपित करने के बारे में विस्तृत प्रावधानों के अन्तर्गत प्राप्त है। आबकारी विभाग का मुख्य उद्देश्य मादक पदार्थों के उत्पादन एवं उपभोग को नियन्त्रित करना है ताकि गुणवत्तायुक्त मानव उपयोगी पदार्थों का उत्पादन होने के साथ-साथ इस प्रक्रिया से समुचित राजस्व अर्जित हो। घातक एवं अवैध मादक पदार्थ पर कठोरतम नियन्त्रण हो सके।
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प्रदेश के सभी जिलों के हाल
वर्ष- परमिटधारी व्यसनी -गैर परमिटधारी व्यसनी- शिविरों की संख्या
2014-15-1418-21484-205
2015-16-16779-34525-548
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वर्ष- लाभान्वित व्यसनी- शिविर
2016,17- 16655-214
2017,18-2769-44
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वर्ष 2014 से 2019 तक सरकार की ओर से राजस्थान में डोडा-चूरा तस्करी व अवैध परिवहन व भंडारण के लिए दर्ज प्रकरण
वर्ष- दर्ज प्रकरण
2014-15- 07
2015-16- 04
2016-17-02
2017-18- 01
्र2018-19,-03
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पांच वर्ष में डोडा परिवहन को लेकर केवल 17 कार्रवाई की गई है। इनमें से भीलवाड़ा जिले में 02, करौली में 1, चित्तौडगढ़़ में 2, जोधपुर में 06, बाड़मेर में 1, जालोर में 1 और बीकानेर में दो सहित दो अन्य मामले पकड़े हैं।
होते हैं प्रकरण दर्ज
ऐसा तो हो ही नहीं सकता कि मादक पदार्थों के परिवहन में यदि किसी को पकड़ा जाए और उसका मामला दर्ज नहीं हो, जो-जो परिवहन के मामले पकड़े जाते हैं, उसके प्रकरण तो दर्ज होते ही हैं।
हेमेन्द्र नागर, जिला आबकारी अधिकारी
Published on:
04 Nov 2019 12:18 pm
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