महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में एबीवीपी ने आरएसएस की सलाह को नजरअंदाज करके सोशल इंजीनियरिंग को मजबूत करने वाला पैनल बनाया है। एबीवीपी ने अध्यक्ष व पुस्तकालय मंत्री पद पर पिछड़े वर्ग के छात्र को प्रत्याशी बनाया है। जबकि उपाध्यक्ष व महामंत्री पद पर सर्वण प्रत्याशी उतारा है। आरएसएस ने अध्यक्ष पद पर दूसरे छात्र को प्रत्याशी बनाने की सलाह दी थी जो संघ से जुड़ा हुआ था लेकिन एबीवीपी ने परिसर के समीकरण को ध्यान में रखते हुए पैनल का चयन किया है। एबीवीपी का सीधा मुकाबला अखिलेश यादव की सेना समाजवादी छात्रसभा से है। इस लड़ाई में कांग्रेस भी किसी से पीछे नहीं है। फिलहाल लड़ाई एबीवीपी व सपा के बीच ही मानी जा रही है।
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जीत पर लोकसभा चुनाव में मिलेगा फायदा
सभी दलों को युवाओं के वोट की जरूरत होती है। छात्रसंघ चुनाव का परिणाम बताता है कि युवा किस दल के साथ है। सपा व बीजेपी में से जिसके छात्र संगठन को जीत मिलेगी। वह लोकसभा चुनाव में लाभ लेने की कोशिश करेगी। परिसर में होने वाले छात्रसंघ चुनाव में वोट प्रतिशत पर भी सभी की निगाह रहेगी। नवरात्र में छात्र व छात्रा अपने घर चले जाते हैं। छात्रसंघ चुनाव में किसी छात्रा के प्रत्याशी नहीं होने से भी वोटिंग प्रतिशत प्रभावित हो सकती है।
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