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नैक की ग्रेडिंग से संतुष्ट नहीं होने पर विश्वविद्यालय प्रशासन को आपत्ति दर्ज कराने का एक मौका मिलता है इसके बाद ग्रेडिंग की फिर से जांच करायी जाती है यदि नैक आपत्ति के कारणों से संतुष्ट होती है तो ग्रेडिंग फिर बदली जा सकती है यदि ऐसा नहीं हुआ तो परिसर को तीन साल तक सी ग्रेड से ही काम चलाना होगा।
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यूजीसी से पिछले वित्तीय वर्ष 2017-18 में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ प्रशासन को १० करोड़ की आर्थिक मदद दी थी जिससे परिसर में आधारभूत सुविधाओं का विकास करने के साथ नये पाठ्यक्रम को चलाना था। वर्तमान वित्तीय वर्ष को खत्म होने में अभी कुछ माह ही बचा हुआ है लेकिन अभी तक अनुदान की ४० प्रतिशत राशि ही खर्च हुई है। ऐसे मेें खराब ग्रेड से यूजीसी की तरफ सुविधाओं में कटौती होती है तो इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
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