बीजेपी व सुभासपा की जुबानी जंग किसी से छिपी नहीं है। सीएम योगी आदित्यनाथ व सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के रिश्ते किसी से छिपा नहीं है। सीएम योगी आदित्यनाथ व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर के रिश्ते बेहद खराब हो गये थे तब खुद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को हस्तक्षेप करना पड़ा था। इसके बाद भी बीजेपी व सुभासपा की लड़ाई जारी है। कई बार दोनों दल के रिश्ते इतने खराब हो गये थे लगा कि गठबंधन टूट जायेगा। लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो पाया है। इसी बीच सीएम योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में फेरबदल की सुगबुगाहट तेज हो गयी है। ऐसे में सबकी निगाहे लगी है कि क्या ओमप्रकाश राजभर के विभाग को बढ़ाया जायेगा या फिर पार्टी उनसे किनारा कर लेगी। ओमप्रकाश राजभर ने खुद कहा था कि 26 जून के बाद तूफान आने वाला है अभी और गर्मी बढऩे वाली है। मैं ऐसी ही हरकत करता रहूंगा। बीजेपी जब तक निकाल नहीं देती है तब तक उससे मोहब्बत रहेगी। ओमप्रकाश राजभर के इसी बयान के बाद से सुगबुगाहट शुरू हो गयी है। यदि ओमप्रकाश राजभर को नया विभाग दिया जाता है तो यह सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए किसी झटके से कह नहीं होगा। यदि ओमप्रकाश राजभर को गठबंधन से किनारे किया जाता है तो सीएम योगी के लिए राहत होगी। इसके बाद सहयोगी दल का कोई ऐसा नेता नहीं बचेगा जो खुलेआम यूपी सरकार के मंत्री व अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठायेगा।
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बेटे के प्रीतिभोज के पहले नहीं बनी थी सड़क तो खुद ही चलाया था फावड़ा
सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार में सहयोगी दल के नेताओं की अधिकारी कितनी बात मानते थे यह 23 जून की घटना से पता चलता है। यूपी के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर के बेटे के प्रीतिभोज से पहले घर के बाहर की सड़क नहीं बनी थी जिससे नाराज होकर ओमप्रकाश राजभर को खुद ही सड़क बनाने के लिए फावड़ा चलाने लगे थे। सोशल मीडिया पर खबर वायरल होते ही यूपी सरकार एक्शन में आयी थी और जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्रा को हटा दिया गया था। इसके बाद भी यूपी सरकार की जमकर किरकिरी हुई थी। प्रदेश के सीएम के किसी गरीब से मिलने जाने के पहले अधिकारी उस घर में ऐसी लगा देते थे और बीजेपी सरकार के ही कैबिनेट मंत्री को घर की सड़क बनवाने के लिए फावड़ा चलाना पड़ा था। बीजेपी को अब अनुमान हो रहा है कि सबका साथ सबका विश्वास का नारा ही देकर काम नहीं चलने वाला है। यह नारा जनता को भी महसूस होना चाहिए। पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में यह हाल है तो प्रदेश में क्या होगा। इसके बाद से यूपी में बदलाव की बयार बह रही है अब देखना है कि 26 जून के बाद क्या होता है।
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सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार में सहयोगी दल के नेताओं की अधिकारी कितनी बात मानते थे यह 23 जून की घटना से पता चलता है। यूपी के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर के बेटे के प्रीतिभोज से पहले घर के बाहर की सड़क नहीं बनी थी जिससे नाराज होकर ओमप्रकाश राजभर को खुद ही सड़क बनाने के लिए फावड़ा चलाने लगे थे। सोशल मीडिया पर खबर वायरल होते ही यूपी सरकार एक्शन में आयी थी और जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्रा को हटा दिया गया था। इसके बाद भी यूपी सरकार की जमकर किरकिरी हुई थी। प्रदेश के सीएम के किसी गरीब से मिलने जाने के पहले अधिकारी उस घर में ऐसी लगा देते थे और बीजेपी सरकार के ही कैबिनेट मंत्री को घर की सड़क बनवाने के लिए फावड़ा चलाना पड़ा था। बीजेपी को अब अनुमान हो रहा है कि सबका साथ सबका विश्वास का नारा ही देकर काम नहीं चलने वाला है। यह नारा जनता को भी महसूस होना चाहिए। पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में यह हाल है तो प्रदेश में क्या होगा। इसके बाद से यूपी में बदलाव की बयार बह रही है अब देखना है कि 26 जून के बाद क्या होता है।
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