सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी ने गोरखपुर, फूलपुर के बाद कैराना उपचुनाव भी हारा है इसके चलते सीएम योगी आदित्यनाथ कमजोर हो गये हैं। फायर हिन्दू ब्रांड नेता माने जाने वाले सीएम योगी आदित्यनाथ की ताकत पहले जैसी नहीं रह गयी है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की रणनीति व पीएम नरेन्द्र मोदी की लहर में बीजेपी ने यूपी में 300 से अधिक सीट जीती थी जिसके बाद ही यूपी की काम योगी आदित्यनाथ को मिली थी लेकिन उपचुनाव में जिस तरह से बीजेपी को हार मिली है उससे सीएम योगी को कमजोर होना तय है। बीजेपी में सीएम योगी के कमजोर होने से बाहुबली क्षत्रिय नेता राजा भैया को तगड़ा झटका लगा है।
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जानिए कैसे लगा राजा भैया को झटका
बीजेपी में राजनाथ सिंह व सीएम योगी दो ऐसे नेता हैं जिनसे बाहुबली राजा भैया के अच्छे संबंध है। राजनाथ सिंह की हालत बीजेपी में बहुत अच्छी नहीं है लेकिन सीएम योगी की स्थिति बेहतर थी। लोकसभा चुनाव 2019 में आवश्यकता पडऩे पर सीएम योगी से राजा भैया अपने संबंधों का उपयोग करके अक्षय प्रताप सिंह के लिए टिकट मांग सकते थे लेकिन अब ऐसा होना कठिन हो गया है। राजा भैया तो निर्दल ही चुनाव लड़ते हैं और उन्हें किसी दल के सिंबल की जरूरत नहीं होती है इसके बाद भी कुंडा के बाहुबली विधायक को किसी दल का साथ चाहिए होता है। सीएम योगी का अप्रत्यक्ष रुप से साथ मिलने से राजा भैया की ताकत बढ़ गयी थी। सीएम योगी के संबंध के चलते ही राजा भैया पर राज्यसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी को वोट देने का आरोप लगा था लेकिन अब परिस्थिति बदल चुकी है। उपचुनाव हार के चलते सीएम योगी कमजोर हो गये हैं जिसके चलते राजा भैया की ताकत भी कम होगी।
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बीजेपी में राजनाथ सिंह व सीएम योगी दो ऐसे नेता हैं जिनसे बाहुबली राजा भैया के अच्छे संबंध है। राजनाथ सिंह की हालत बीजेपी में बहुत अच्छी नहीं है लेकिन सीएम योगी की स्थिति बेहतर थी। लोकसभा चुनाव 2019 में आवश्यकता पडऩे पर सीएम योगी से राजा भैया अपने संबंधों का उपयोग करके अक्षय प्रताप सिंह के लिए टिकट मांग सकते थे लेकिन अब ऐसा होना कठिन हो गया है। राजा भैया तो निर्दल ही चुनाव लड़ते हैं और उन्हें किसी दल के सिंबल की जरूरत नहीं होती है इसके बाद भी कुंडा के बाहुबली विधायक को किसी दल का साथ चाहिए होता है। सीएम योगी का अप्रत्यक्ष रुप से साथ मिलने से राजा भैया की ताकत बढ़ गयी थी। सीएम योगी के संबंध के चलते ही राजा भैया पर राज्यसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी को वोट देने का आरोप लगा था लेकिन अब परिस्थिति बदल चुकी है। उपचुनाव हार के चलते सीएम योगी कमजोर हो गये हैं जिसके चलते राजा भैया की ताकत भी कम होगी।
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राजा भैया के पास नहीं बचा अधिक विकल्प
लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी व महागठबंधन में सीधा मुकाबला होना लगभग तय हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती व राजा भैया की अदावत किसी से छिपी नहीं है। मायावती के राज में ही राजा भैया पर पोटा लगाया गया था और बाहुबली क्षत्रिय नेता को लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा था उस समय बीजेपी के नेता भी राजा भैया के साथ नहीं खड़े थे। सपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने राजा भैया का साथ दिया था सपा की सरकार आते ही राजा भैया को जेल से मुक्ति मिली थी उसके बाद राजा भैया ने मुलायम सिंह यादव को अपना राजनीतिक गुरु भी कहा था। पूर्व सीएम अखिलेश यादव से भी राजा भैया के संबंध ठीक थे लेकिन सीओ जिया उल हक हत्याकांड में नाम आने के बाद तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव से राजा भैया के संबंध थोड़े खराब हुए था इस हत्याकांड में राजा भैया को क्लीन चिट मिलने के बाद फिर से अखिलेश यादव से उनके संबंध ठीक हो गये थे लेकिन राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के पक्ष में मतदान करने के आरोप के बाद अखिलेश यादव ने राजा भैया को लेकर बड़ा बयान दिया था। अखिलेश ने कहा था कि लगता है कि राजा भैया हमारे साथ नहीं है। इसके बाद राजा भैया व अखिलेश यादव के संबंधों में पहले जैसी गर्माहट नहीं रही। महागठबंधन की सबसे बड़ी नेता मायावती होने वाली है उनके रहते राजा भैया या उनके किसी खास को महागठबंधन का टिकट मिलना कठिन है। दूसरी तरफ सीएम योगी भी कमजोर हो गये हैं ऐसे में राजा भैया व उनके समर्थक नेताओं के पास बीजेपी व महागठबंधन को लेकर अधिक विकल्प नहीं बचा है।
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लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी व महागठबंधन में सीधा मुकाबला होना लगभग तय हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती व राजा भैया की अदावत किसी से छिपी नहीं है। मायावती के राज में ही राजा भैया पर पोटा लगाया गया था और बाहुबली क्षत्रिय नेता को लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा था उस समय बीजेपी के नेता भी राजा भैया के साथ नहीं खड़े थे। सपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने राजा भैया का साथ दिया था सपा की सरकार आते ही राजा भैया को जेल से मुक्ति मिली थी उसके बाद राजा भैया ने मुलायम सिंह यादव को अपना राजनीतिक गुरु भी कहा था। पूर्व सीएम अखिलेश यादव से भी राजा भैया के संबंध ठीक थे लेकिन सीओ जिया उल हक हत्याकांड में नाम आने के बाद तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव से राजा भैया के संबंध थोड़े खराब हुए था इस हत्याकांड में राजा भैया को क्लीन चिट मिलने के बाद फिर से अखिलेश यादव से उनके संबंध ठीक हो गये थे लेकिन राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के पक्ष में मतदान करने के आरोप के बाद अखिलेश यादव ने राजा भैया को लेकर बड़ा बयान दिया था। अखिलेश ने कहा था कि लगता है कि राजा भैया हमारे साथ नहीं है। इसके बाद राजा भैया व अखिलेश यादव के संबंधों में पहले जैसी गर्माहट नहीं रही। महागठबंधन की सबसे बड़ी नेता मायावती होने वाली है उनके रहते राजा भैया या उनके किसी खास को महागठबंधन का टिकट मिलना कठिन है। दूसरी तरफ सीएम योगी भी कमजोर हो गये हैं ऐसे में राजा भैया व उनके समर्थक नेताओं के पास बीजेपी व महागठबंधन को लेकर अधिक विकल्प नहीं बचा है।
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