यूपी में अखिलेश यादव को यादव वर्ग का सबसे बड़ा नेता माना जाता है। मायावती का अपना कैडर वोटर है जिसमे सेंधमारी करना किसी दल के लिए आसान नहीं है। राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी भी अपनी ताकत बढ़ाने में जुटी है। केन्द्र व यूपी की सत्ता में बीजेपी का कब्जा है और बीजेपी से नाराज वोटर दूसरे दल की तरफ देख रहे हैं। बीजेपी के पाय यूपी में कोई यादव नेता नहीं है जो अखिलेश यादव के वोट बैंक में सेंधमारी कर सके। पीएम नरेन्द्र मोदी सरकार ने जब से एससी/एसटी एक्ट को लेकर अध्यादेश लाया है जब से सवर्ण वोटर भी बीजेपी से नाराज हो गये हैं। बीजेपी को डर लग रहा है कि यादव व सवर्ण वोटर संभावित महागठबंधन में चले जाते हैं तो बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। बीजेपी अभी इन वोटरों को अपने पाले में करने को लेकर मंथन कर रही थी कि यूपी में दो ऐसे बड़े नेताओं का उदय हो गया है जो यादव के साथ सवर्ण वोट बैंक में जबरदस्त सेंधमारी की क्षमता रखते हैं।
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यूपी में यादव व सवर्ण वोटरों में सेंधमारी के सामने आये यह दो बड़े नेता
सपा से अलग होकर शिवपाल यादव ने अपनी पार्टी बना ली है और यूपी की 80 सीटों पर लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी उतारने का ऐलान किया है। शिवपाल यादव ने सपा को तोडऩा शुरू कर दिया है। शिवपाल यादव के निशाने पर यादव वोटर है। शिवपाल यादव की पार्टी बनाने से परेशान अखिलेश यादव को 11 साल बाद गोवर्धन पूजनोत्सव में भाग लेकर यादव वोटरों को अपने पाले में करने के लिए आना पड़ा। शिवपाल यादव का मामला अभी ठंडा नहीं हुआ था कि कुंडा के बाहुबली क्षत्रिय विधायक राजा भैया ने अपनी नयी पार्टी जनसत्ता पार्टी का ऐलान कर दिया है। राजा भैया ने मीडिया के सामने एससी/एसटी एक्ट को लेकर लाये अध्यादेश पर आपत्ति जतायी थी। संदेश साफ है कि एससी/एसटी एक्ट को लेकर नाराज सवर्ण वोटरों के लिए राजा भैया की पार्टी विकल्प बन सकती है। इन वोटरों ने सोशल मीडिया पर बीजेपी को लेकर जमकर नाराजगी जाहिर की थी लेकिन कांग्रेस के साथ जाने की जगह नोटा का उपयोग की बात कही थी। राजा भैया की पार्टी बनाने से इन वोटरों को एक विकल्प मिल गया है यदि बीजेपी से नाराज सवर्ण वोटरों ने इस विकल्प का प्रयोग किया तो बीजेपी से अधिक कांग्रेस को नुकसान उठाना होगा।
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सपा से अलग होकर शिवपाल यादव ने अपनी पार्टी बना ली है और यूपी की 80 सीटों पर लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी उतारने का ऐलान किया है। शिवपाल यादव ने सपा को तोडऩा शुरू कर दिया है। शिवपाल यादव के निशाने पर यादव वोटर है। शिवपाल यादव की पार्टी बनाने से परेशान अखिलेश यादव को 11 साल बाद गोवर्धन पूजनोत्सव में भाग लेकर यादव वोटरों को अपने पाले में करने के लिए आना पड़ा। शिवपाल यादव का मामला अभी ठंडा नहीं हुआ था कि कुंडा के बाहुबली क्षत्रिय विधायक राजा भैया ने अपनी नयी पार्टी जनसत्ता पार्टी का ऐलान कर दिया है। राजा भैया ने मीडिया के सामने एससी/एसटी एक्ट को लेकर लाये अध्यादेश पर आपत्ति जतायी थी। संदेश साफ है कि एससी/एसटी एक्ट को लेकर नाराज सवर्ण वोटरों के लिए राजा भैया की पार्टी विकल्प बन सकती है। इन वोटरों ने सोशल मीडिया पर बीजेपी को लेकर जमकर नाराजगी जाहिर की थी लेकिन कांग्रेस के साथ जाने की जगह नोटा का उपयोग की बात कही थी। राजा भैया की पार्टी बनाने से इन वोटरों को एक विकल्प मिल गया है यदि बीजेपी से नाराज सवर्ण वोटरों ने इस विकल्प का प्रयोग किया तो बीजेपी से अधिक कांग्रेस को नुकसान उठाना होगा।
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वोट बैंक मेें सेंधमारी के साथ बागी नेताओं को भी मिलेगा सहारा
शिवपाल यादव व राजा भैया की पार्टी सपा, बसपा, कांग्रेस व बीजेपी के वोटरों में सेंधमारी के साथ इन दलों के बागी नेताओं को सहारा दे सकती है। यूपी में सपा, बसपा व कांग्रेस में महागठबंधन होता है तो तीनों ही दल के टिकट कटने वाले कई नेता शिवपाल यादव व राजा भैया के दल में जा सकते हैं। बीजेपी ने भी तीस प्रतिशत से अधिक सांसदों के टिकट काटने का संकेत दिया है ऐसे में बीजेपी के बागी नेता भी शिवपाल यादव व राजा भैया का दामन थाम सकते हैं। लोकसभा चुनाव से पहले सारे चक्रव्यूह तैयार हो चुके हैं और जो भी राजनीतिक दल इस चक्रव्यूह को भेदने की क्षमता रखेगा। विजय का ताज उसी के सिर पर सजेगा।
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