डीजीपी कार्यालय में बनारस एसएसपी के नाम से दो पत्र प्राप्त हुए हैं। 28 जून को प्राप्त इन पत्रों में लिखने की तिथि 23 जून अंकित है। इन पत्रों में बनारस में तैनात दो दरोगा सब इंस्पेक्टर संजय कुमार लाल व श्यामा तिवारी को जिले से दूर ट्रांसफर करने की बात लिखी थी। पत्र में कहा गया था कि प्रशासनिक कार्य के हित में इन दरोगाओं का ट्रांसफर अन्य जिले में करना बेहद अनिवार्य है। इस पत्र को एक सिपाही ने लखनऊ जाकर डीजीपी कार्यालय में रिसीव कारया गया था। पत्र मिलने के बाद हरकत में आये डीजीपी कार्यालय ने जब बनारस के एसएसपी आनंद कुलकर्णी से जानकारी मांगी। बनारस के एसएसपी ने अपने कार्यालय में पत्र के बारे में जानकारी लेनी चाही तो कोई सूचना नहीं मिली। इसके बाद 10 जुलाई के एसएसपी आनंद कुलकर्णी ने डीजीपी कार्यालय को अवगत कराया कि इस तरह का पत्र कभी नहीं लिखा गया है। एसएसपी के स्पष्ट कर देने के बाद से साफ हो जाता है कि लिखा गया पत्र फर्जी हो सकता है। इसके बाद लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज करा कर मामले की जांच शुरू की गयी है।
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पत्र रिसीव कराने वाले सिपाही से होगी पूछताछ
पुलिस विभाग में इस फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद हड़कंप की स्थिति है। डीजीपी कार्यालय को पता चल चुका है कि पत्र रिवीस कराने वाले सिपाही का नाम अखिलेश सिंह है जो बनारस में तैनात है अब इस सिपाही से पूछताछ की तैयारी की जा रही है। सिपाही के खिलाफ जाली दस्तावेज दर्ज कराने की रिपोर्ट पहले ही लिखी जा चुकी है। संभावना जतायी जा रही है सिपाही से पूछताछ में इस मामले का कुछ खुलासा हो सकता है।
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पुलिस विभाग में इस फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद हड़कंप की स्थिति है। डीजीपी कार्यालय को पता चल चुका है कि पत्र रिवीस कराने वाले सिपाही का नाम अखिलेश सिंह है जो बनारस में तैनात है अब इस सिपाही से पूछताछ की तैयारी की जा रही है। सिपाही के खिलाफ जाली दस्तावेज दर्ज कराने की रिपोर्ट पहले ही लिखी जा चुकी है। संभावना जतायी जा रही है सिपाही से पूछताछ में इस मामले का कुछ खुलासा हो सकता है।
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पुलिस विभाग में होता है जमकर खेल
पुलिस विभाग में जमकर खेल होता है। बनारस के तैनात रहे तत्कालीन एसएसपी नितिन तिवारी ने ऐसे ही पुलिस के खेल का खुलासा किया था। आईपीएस नितिन तिवारी ने थानों में सिपाहियों की सूची मंगायी थी तो पता चला था कि दर्जनों ऐसे सिपाही है जिन्हें वेतन तो जारी होता है लेकिन वह तैनात कहा पर है इसकी जानकारी विभाग को नहीं है। इसके बाद नितिन तिवारी ने ऐसे सिपाहियों का वेतन रोकने का आदेश जारी किया था इसके बाद ऐसे सिपाहियों ने तत्कालीन एसएसपी को बताया था कि वह कहां पर रहते थे इसके बाद आईपीएस नितिन तिवारी ने सिपाहियों की तैनाती का साफ्टवेयर बनवाया था ताकि इस तरह का खेल न हो सके।
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पुलिस विभाग में जमकर खेल होता है। बनारस के तैनात रहे तत्कालीन एसएसपी नितिन तिवारी ने ऐसे ही पुलिस के खेल का खुलासा किया था। आईपीएस नितिन तिवारी ने थानों में सिपाहियों की सूची मंगायी थी तो पता चला था कि दर्जनों ऐसे सिपाही है जिन्हें वेतन तो जारी होता है लेकिन वह तैनात कहा पर है इसकी जानकारी विभाग को नहीं है। इसके बाद नितिन तिवारी ने ऐसे सिपाहियों का वेतन रोकने का आदेश जारी किया था इसके बाद ऐसे सिपाहियों ने तत्कालीन एसएसपी को बताया था कि वह कहां पर रहते थे इसके बाद आईपीएस नितिन तिवारी ने सिपाहियों की तैनाती का साफ्टवेयर बनवाया था ताकि इस तरह का खेल न हो सके।
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