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सीवर के गंदे पानी से ढह सकता है वरुणा कॉरीडोर का एक हिस्सा, अधिकारियों को परवाह नहीं

नदी में बाढ़ आयी तो हालत होंगे और खराब, एसटीपी तक नहीं पहुंचा है नाले का गंदा पानी

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Varuna Corridor

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वाराणसी. सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार वरुणा कॉरीडोर के निर्माण को लेकर बेहद सख्त है लेकिन अधिकारियों को शासन की सख्ती का असर नहीं है। वरुणा कॉरीडोर को लेकर फिर लापरवाही सामने आयी है। सीवर का पानी अभी तक एसटीपी तक नहीं पहुंचा है और मलजल के चलते चौकाघाट के बाद बड़े गड्ढ़े में सीवर का पानी जमा हो रहा है जिससे पाथ वे के पास का हिस्सा ढह सकता है। सबसे बड़ी बात है कि पीएम नरेन्द्र मोदी के एसटीपी के उद्घाटन करने के बाद भी वहां पर सीवर का मलजल नहीं पहुंचा है वही पानी अब वरुणा कॉरीडोर के लिए संकट बन गया है।
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चौकाघाट पुल के पास स्थित वरुणा कॉरीडोर में मलदहिया का बड़ा नाला गिरता है जिससे नदी के जल में प्रदूषण फैलता है। पीएम नरेन्द्र मोदी ने गंगा के साथ वरूणा को स्वच्छ करने के लिए अपने संसदीय क्षेत्र में दो एसटीपी का निर्माण कराया है जिसका उद्घाटन भी पीएम मोदी ने किया था। मलदहिया नाला का गंदा पानी भी इसी एसटीपी में जाना था। यहां पर पानी को लिफ्ट करने के लिए एक लिफ्ट स्टेशन बनाया गया था जहां से गंदा पानी को लिफ्ट कर एसटीपी में भेजना था। गंदे पानी को एसटीपी तक पहुंचाने के लिए रेलवे लाइन के नीचे से पाइप लाइन बिछानी थी जिसके चलते गंदा पानी एसटीपी तक लिफ्ट नहीं हो पा रहा है। यह काम अभी तक नहीं हो पाया है। वरूणा नदी में जलस्तर बेहद कम था तो नाले का गंदा पानी नदी में गिर जाता था लेकिन अब जलस्तर बढ़ा हुआ है जिसके चलते नाले का पानी नदी में जाने की जगह वरुणा कॉरीडोर के पास ही जमा होने लगा। पानी से वहां पर गड्ढा बन गया है और कॉरीडोर की जमीन घिसकने लगी है। यदि जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं हुआ तो कॉरीडोर का एक हिस्सा ढह सकता है।
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वरूणा में आयी बाढ़ तो स्थिति और होगी खराब
बनारस में अभी मानसून का पता नहीं है यदि इस बार जमकर बारिश होती है और वरुणा नदी में बाढ़ आती है तो कॉरीडोर का डुबना तय है। ऐसे में सीवर जल से बने गड्ढे के चलते कॉरीडोर को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। कॉरीडोर की स्थिति खराब होती जा रही है लेकिन किसी अधिकारी को परवाह नहीं है कि वहां के हालात जाने।
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एनजीटी की सख्ती के बाद भी नहीं बदल रही व्यवस्था
वरुणा की दयनीय अवस्था पर एनजीटी बेहद सख्त है इसके बाद भी वहां की व्यवस्था नहीं बदल रही है। एनजीटी ने वरूणा नदी को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए वहां पर एक लाख से अधिक पौधे लगाने को कहा है लेकिन अधिकारियों को इसकी भी परवाह नहीं है। वह कॉरीडोर का हाल जानने तक नहीं जाते हैं ऐसे में लोगों को वरूणा नदी की सेहत सुधरने की उम्मीद खत्म होने लगी है।
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जानिए क्या है वरूणा कॉरीडोर प्रोजेक्ट
सपा सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने वरूणा कॉरीडोर की नींव रखी थी। 201 करोड़ रुपये से 10 किलोमीटर लम्बा कॉरीडोर बनना था इसमे नदी के दो किनारे पर पाथ वे, हरियाली, लाइटिंग आदि लगाये जाने थे। सपा सरकार में ही इस प्रोजेक्ट पर धांधली होने का आरोप लगा था। बाद में यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ की सारकार आयी तो प्रोजेक्ट में लापरवाही बरतने पर कई अधिकारियों को निलंबित किया गया था इसके बाद किसी तरह कॉरीडोर का काम पूरा करने का दावा किया है लेकिन अब सीवर के मलजल ने प्रोजेक्टर पर संकट के बादल मंडरा दिये हैं।
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