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Law education: युवाओं को चाहिए नए कौशल और जॉब ओरिएन्टेड कोर्स

अधिकांश विद्यार्थी व्यस्तता के चलते कॉलेज नियमित नहीं आ पाते। कॉलेज के लिए दोनों कोर्स फायदेमंद साबित नहीं हो रहे हैं।

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रक्तिम तिवारी/अजमेर.

लॉ कॉलेज (law college) में संचालित डिप्लोमा इन लेबर लॉ (डीएलएल)और डिप्लोमा इन क्रिमनॉलोजी कोर्स (डीसीएल) औपचारिक बन गए हैं। विद्यार्थियों को कॅरियर में खास फायदा नहीं मिल रहा। कॉलेज नए कोर्स चलाना चाहता है। लेकिन महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय (mdsu ajmer) और सरकार (state govt) से मंजूरी नहीं मिल रही।

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लॉ कॉलेज 2005 में अस्तित्व में आया। पूर्व में जीसीए (spc-gca) के विधि संकाय के रूप में संचालित था। यहां 50 साल से एलएलबी के साथ एक वर्षीय डिप्लोमा इन लेबर लॉ (DLL) और डिप्लोमा इन क्रिमनोलॉजी कोर्स (DCL) संचालित है। 90 के दशक तक दोनों कोर्स करने वाले विद्यार्थियों को श्रम निरीक्षक, फेक्ट्री और बॉयलर विभाग में रोजगार के अलावा वकालत में लाभ मिलता था।

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यूं घट रहे हैं अवसर
-राजस्थान लोक सेवा आयोग के जरिए शुरू हुई भर्तियां
-विद्यार्थियों को कॅरियर में नहीं खास लाभ
-विद्यार्थी तीन या पांच वर्षीय एलएलबी को दे रहे तवज्जो
-एलएलबी के दौरान विद्यार्थी शुरू करते हैं अदालतों में प्रेक्टिस
-राजस्थान और अन्य प्रांतों में न्यायिक सेवाओं में चयन
-एलएलबी के बाद करते हैं स्वतंत्र प्रेक्टिस

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विद्यार्थी-कॉलेज चाहते हैं ये कोर्स
-डिप्लोमा इन साइबर लॉ-डिप्लोमा इन फोरेंसिक लॉ
-सर्टिफिकेट कोर्स इन एन्वायरमेंट लॉ
-सर्टिफिकेट इन कॉरपॉरेट लॉ, एक वर्षीय एलएलएम

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नहीं है पर्याप्त शिक्षक
डीसीएल और डीएलएल में ऐसे विद्यार्थी (students) अध्ययनरत हैं, जो किसी व्यवसाय, सरकारी अथवा निजी नौकरियों में कार्यरत हैं। अधिकांश विद्यार्थी व्यस्तता के चलते कॉलेज नियमित (regular classes) नहीं आ पाते। लिहाजा कॉलेज के लिए दोनों कोर्स फायदेमंद साबित नहीं हो रहे हैं। कॉलेज में स्टाफ पर वर्कलोड (work load) बढ़ा हुआ है।

फायदे ज्यादा, फिर भी बेफिक्री
नए कौशल और रोजगारक कोर्स के से विद्यार्थियों को रोजगार (jobs) भी त्वरित मिल रहे हैं। नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, कई प्राइवेट और सरकारी विश्वविद्यालय एक या दो वर्षीय डिप्लोमा और नए सर्टिफिकेट कोर्स (certificate course) चला रहे हैं। सरकार और महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय को लॉ कॉलेज के विद्यार्थियों की ज्यादा परवाह नहीं है।

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प्रतिस्र्धात्मक युग में लीगल एज्यूकेशन में नए कोर्स जरूरी हैं। एलएलबी या एलएलएम के बाद भी रोजगार की कोई गारंटी नहीं है। ज्यादातर विद्यार्थी वकालत ही करते हैं। सरकार को समयानुकूल नए लॉ कोर्स शुरू करने चाहिए। यह युवाओं के लिए फायदेमंद साबित होंगे। साथ ही विधि शिक्षा में नयापन भी आएगा।
डॉ. सीताराम शर्मा, पूर्व प्राचार्य लॉ कॉलेज

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