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Pushkar Fair 2019: पूरब -पश्चिम संस्कृति का संगम बना धार्मिक पुष्कर मेला

Pushkar Fair 2019: आध्यात्मिकता के रंग में रंगे विदेशी पर्यटक पुष्कर के घाट पर विदेशी पर्यटक भी कर रहे हैं पूजा अर्चना

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अजमेर

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Preeti Bhatt

Nov 13, 2019

पुष्कर. जगतपिता ब्रह्मा के तीर्थ पुष्कर के धार्मिक मेले(Pushkar Fair 2019) में पूर्व पश्चिमी संस्कृति का संगम देखने को मिल रहा है ।यहां पर लाखों की संख्या में देसी श्रद्धालु पवित्र पुष्कर में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं वहीं सात समंदर पार से आए विभिन्न धर्म के विदेशी पर्यटक ( foreign tourist) भी पवित्र पुष्कर सरोवर की पूजा अर्चना करके आस्था में विश्वास व्यक्त कर रहे हैं। ऐसा ही नजारा पुष्कर सरोवर के जयपुर घाट पर देखने को मिला।

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आध्यात्मिकता के रंग में रंगे विदेशी पर्यटक
विदेशी पर्यटकों का एक समूह ने मंत्रोच्चार के साथ तल्लीन होकर पवित्र पुष्कर सरोवर की पूजा अर्चना की। इस दौरान एक महिला पर्यटक की भावुकतावश आंखें छलक आई। विदेशी पर्यटकों का यह दल पुष्कर भ्रमण करने के लिए आया हुआ था।

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जयपुर घाट पर आते ही पर्यटकों के साथ गाइड ने पुष्कर सरोवर का महत्व बताया तो उन्होंने पूजा करने की इच्छा जताई । सभी पर्यटकों ने पंडित मुकेश भट्ट के आचार्यत्व में पुष्कर सरोवर के जयपुर घाट पर पूजा अर्चना की। महामृत्युंजय मंत्र एवं गायत्री मंत्र के उच्चारण के साथ पुष्कर सरोवर की पूजा अर्चना की ।

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इसके बाद जल में अर्पित किया। हालांकि संस्कृति भाषा से पूरी तरह से अनजान थी लेकिन उन्होंने इसे समझने का प्रयास किया। काफी देर तक पूजा-अर्चना करने के दौरान एक महिला पर्यटक आंखें बंद कर सरोवर की सीढिय़ों पर बैठ इतनी तल्लीनता में खो गई कि उसकी आंखों से आंसू ही छलक गए।एक बार तो उसके साथ के पर्यटकों को परेशानी हुई लेकिन जब यह पता चला कि वह है आध्यात्मिकता के रंग में खोई हुई है तो पर्यटको ने राहत महसूस की।

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काफी देर बाद महिला पर्यटक ने आंखें खोली तथा प्रसन्न चित्त नजर आई। पंडित मुकेश ने भी विदेशी पर्यटकों के ललाट पर कंकू का तिलक – चावल लगाया तो का हाथ में मौली बांधकर उनकी संपन्नता का आशीर्वाद दिया। पंडित भी बीच-बीच में अंग्रेजी में मंत्रों का उच्चारण कर समझा रहा था। इससे पर्यटकों को पूजा करने में कोई कठिनाई नहीं आई।

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गौरतलब है कि कुछ समय पहले तीर्थराज पुष्कर की विदेशी पर्यटकों को नशा परोसने की छवि काफी चर्चित रही थी लेकिन समय की करवट लेने के साथ ही अब यहां पर आने वाले विदेशी पर्यटक पुष्कर सरोवर की पूजा करने में विश्वास करने लगे हैं कई पाठकों ने तो मठ में रहने वाले साधु संतों के साथ समय बिताकर साधना करनी शुरू कर दी है। भारतीय संस्कृति के वेद मंत्रों की संस्कृत , हिंदी भाषा से पूरी तरह से अनजान सात समंदर पार हाई-फाई प्रोफाइल में जीने वाले विदेशी पर्यटकों को पुष्कर की आध्यात्मिकता रास आने लगी है।

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होली पुष्कर पासपोर्ट
पूजा अर्चना करने के बाद में पुरोहित की ओर से विदेशी पर्यटकों की कलाई पर जो मोदी बांधी जाती है उसे होली पासपोर्ट का नाम दिया जाता है यह होली पुष्कर पासपोर्ट बनवाने के बाद विदेशी पर्यटक यहां के मंदिरों में बाजार में स्वच्छता के साथ घूम सकता है तथा उसे कोई भी दोबारा पूजा करने के लिए नहीं कह सकता । क्योंकि यह पूजा करने की एक निशानी भी मानी जाती है। यही कारण है कि पुष्कर आते ही विदेशी पर्यटक पुष्कर सरोवर की पूजा करने के बाद होली पुष्कर पासपोर्ट जरूर बंधवाते हैं।

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