दरअसल जीवनदायिनी बेतवा नदी के उस पार के गांव लेटनी, पीकलोन, बकवारा, कोलूआ, चक्क, सडेरा, रोशन पिपरिया, बजीराबाद के सैकड़ों ग्रामीणों को मंडीबामोरा आने के लिए मौजूद सीधे मार्ग पर पुल नहीं होने के कारण नदी कश्ती के सहारे पार करनी पड़ती है। अपने वाहन भी कश्ती में रखकर ले जाना पड़ता है।
बारिश के दिनों में जब बेतवा नदी उफान पर होती है तब सफर और भी खतरनाक हो जाता है। कुछ दिनों के लिए मार्ग बंद भी रहता है। ग्रामीणों ने बताया कि डेम बनने से इस वर्ष नदी में पानी की मात्रा बहुत ज्यादा है। बीते वर्षा तक डेम नहीं होने से नदी में इतना अधिक पानी नहीं रहता था। ग्रामीणों द्वारा जनप्रतिनिधियों से अधिकारियों तक पुल बनाने की मांग की जा चुकी है। लेकिन अभी तक जिम्मेदार हाथ पर हाथ रखे बैठे है।
इनका कहना है—
15 किमी का पड़ता है चक्कर
लेटनी सहित अन्य गांवों के लोगों को मंडीबामोरा जाने के लिए करीब 15 किमी का चक्कर पड़ता है। इसलिए ग्रामीण सीधे रास्ते से कश्ती के सहारे नदी पार कर मंडीबामोरा आते जाते है। नेता सिर्फ कोरे वादे करते आ रहे है लेकिन पुल नहीं बनवा सके है। अभी तक ग्रामीणों को सभी जगह से झूठा आश्वासन मिलता रहा है।
– उमेद आवेद, कोलूआ
कई बार गिर चुके है लोग
कई बार कश्ती से नदी पार करते समय लोग पानी में डूब चुके है। जिन्हें लोगों कश्ती से कूदकर बचाया था। गांव के लोगों सहित उनके रिश्ते—नातेदारों के आने जाने का मुख्य केन्द्र मंडीबामोरा है जो कि प्रमुख रेल्वे स्टेशन भी है। ऐसे में उन्हें गांव तक आने जाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ता है।
कलेक्टर सिंह, लेटनी
कोठा बेराज डेम के उपर से मिलेगा रास्ता
कुरवाई की पेयजल व्यवस्था के लिए पिछले साल बने डेम से बेतवा नदी में पानी का भराव अधिक हो गया है। केन्द्र व राज्य सरकार की योजना अंतर्गत कोठा बेराज डेम प्रस्तावित है जिसके उपर से पुल के रूप ग्रामीणों को रास्ता मिलेगा।
वीरसिंह पवार, विधायक