
British ruled Territory British Overseas Territory work under Britain
British Overseas Territory: आज से 76 साल पहले भारत अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ था, लेकिन आज भी कई देश और क्षेत्र ऐसे हैं जो अभी भी ब्रिटिश शासन के अंतर्गत काम करते हैं। इसमें ऐसे-ऐसे देश शामिल हैं, जिनके नाम पढ़कर आप यकीन नहीं कर पाएंगे कि यहां पर ब्रिटिश हुकूमत चलती है। इसमें से एक इलाके को तो दो दिन पहले ही अंग्रेजों (English) यानी ब्रिटिश शासन से आजादी मिली है। इसका नाम है चागोस (Chagos) द्वीप समूह। इसे भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की ब्रिटेन के समकक्ष से लंबी बातचीत के बाद मॉरीशस को लौटा दिया गया है। ब्रिटेन के इस फैसला का भारत ने स्वागत किया था।
दुनिया भर में ऐसी 13 जगहे हैं जिन पर ब्रिटिश सरकार का राज है और ये ‘ब्रिटिश विदेशी प्रदेश’ यानी ‘ब्रिटिश ओवरसीज़ टेरिटरीज़’ (British Overseas Territory) कहा जाता है। इन सभी जगहों पर सर्वोच्च नेता ब्रिटेन का राजा होता है। यानी इनका ब्रिटेन की संसद में प्रतिनिधित्व भी नहीं होता ना ही अंतर्राष्ट्रीय मोर्चे पर इनका कोई अपना रिप्रेजेन्टेटिव होता है। आधिकारिक तौर पर ब्रिटेन की राजशाही ही इन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करती है।
1- बरमूड़ा
2- फॉकलैंड आइलैंड्स
3- साउथ जॉर्जिया और साउथ सैंडविच आइलैंड्स
4- ब्रिटिश अंटार्कटिक टेरिटरी
5- सेंट हेलेना
6- मॉन्टसेराट
7- जिब्राल्टर
8- अक्रोटिरी-देकेलिया
9- एंगुइला
10- तुर्क्स एंड कैकोस
11- ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स
12- एसेन्शन और ट्रिस्टन दा कुन्हा
13- पिटकैर्न
ब्रिटेन की हुकूमत वाले इन क्षेत्रों में 2 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं। हालांकि इन प्रदेशों में खुद की सरकारें होती हैं। लेकिन इनके विदेशी संबंध और रक्षा जैसे मामले ब्रिटेन की तरफ से संचालित और नियंत्रित किए जाते हैं। इसे आप इस तरह से समझिए-
1- हर ब्रिटिश विदेशी प्रदेश की अपनी अलग सरकार होती है, जो आमतौर पर एक संविधान के तहत काम करती है।
2- हर प्रदेश में एक गवर्नर होता है, जिसे ब्रिटेन की सरकार नियुक्त करती है। ये गवर्नर ब्रिटेन की महारानी या राजा के प्रतिनिधि होते हैं। ये गवर्नर ही विदेशी मामलों, रक्षा, आंतरिक सुरक्षा जैसे मामलों में खास भूमिका निभाते हैं।
3- इनमें से ज्यादातर विदेशी प्रदेशों में एक प्रधानमंत्री या फिर एक मुख्यमंत्री होता है। इन प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को वहां के स्थानीय चुनावों के जरिए चुना जाता है। ये प्रतिनिधि स्वास्थ्य, शिक्षा और परिवहन जैसे मामलों की जिम्मेदारी संभालते हैं।
4- गवर्नर एक तरह से इन स्थानीय सरकारों की निगरानी करते हैं कि ये ठीक तरह से संचालित हो रही है या नहीं। ये गवर्नर ब्रिटेन और स्थानीय सरकारों के बीच एक कड़ी के तौर पर काम करते हैं।
5- ब्रिटिश विदेशी प्रदेशों को स्वायत्तता दी गई है यानी स्थानीय सरकारें अपने हिसाब से कानून बना सकती हैं।
6- इनमें से कई प्रदेश अपने संसदीय या विधायिका सिस्टम से चलते हैं। जिससे य़े अपने कानून बनाने और स्थानीय मुद्दों को सुलझा लेते हैं।
7- ब्रिटेन इन प्रदेशों के अंतर्राष्ट्रीय कानून और संधियों का पालन भी सुनिश्चित करता है। अगर किसी प्रदेश में संकट जैसी स्थिति पैदा होती है या फिर गवर्नर उन्हें ये बताते हैं कि सरकार असफल हो रही है तो ब्रिटेन इन प्रदेशों में सीधे दखल देता है।
Published on:
05 Oct 2024 03:37 pm
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