राष्ट्रीय अकादमिक संग्रहण केंद्र (नेशनल एकेडेमिक डिपॉजिटरी) योजनान्तर्गत कई संस्थानों ने विद्यार्थियों को की पाठ्यक्रमों की डिग्री, डिप्लोमा, अंकतालिकाएं, प्रमाण पत्र को डिजिटल प्रारूप में उपलब्ध कराने के लिए ई-वॉलेट तैयार किए हैं। विद्यार्थियों को यह 24 घंटे ऑनलाइन उपलब्ध हैं। लेकिन विदेशी संस्थानों की तर्ज पर यूजीसी विद्यार्थियों के परीक्षाओं अर्जित अंक और क्रेडिट को सहेजने की तैयारी में है।
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पढ़ सकेंगे मनचाहा विषययोजना का फायदा विद्यार्थियों को पढ़ाई में होगा। यदि इंजीनियरिंग ब्रांच का कोई विद्यार्थी किसी विदेशी अथवा नामचीन संस्थान से एमएससी फिजिक्स का खास पेपर पढऩा चाहता है। नेशनल एकेडेमिक एकेडेमिक क्रेडिट बैंक में जमा उसके अंक-क्रेडिट तथा ई-दस्तावेज संबंधित संस्था को सीधे ट्रांसफर किए जाएंगे। वह अपने इंजीनियरिंग संस्थान से नियमानुसार मंजूरी लेकर दूसरे संस्थान में फिजिक्स का पेपर पढ़ सकेगा। इसके लिए दोनों संस्थानों के बीच एमओयूभी होगा।
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बैंक की तरह होंगे बनेंगे खातेयूजीसी ने योजना को नेशनल एकेडेमिक एकेडेमिक क्रेडिट बैंक नाम दिया है। इसमें विद्यार्थियों के सेमेस्टर-वार्षिक परीक्षाओं अर्जित अंक और क्रेडिट तथा मार्कशीट-प्रमाण पत्र को डिजिटल फॉर्मेट में सहेजा जाएगा। कॉलेज-यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी इसके खाताधारक होंगे। इससे विद्यार्थियों के अंक-क्रेडिट और दस्तावेजों की ऑनलाइन जांच हो सकेगी।यूजीसी ने मांगे हैं प्रस्तावयूजीसी ने देश के केंद्रीय और राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी, एनआईटी और कॉलेज से प्रस्ताव मांगे हैं। संस्थानों के शिक्षाविदों, विशेषज्ञों और विद्यार्थियों से भी फीडबैक देने को कहा है।
यूजीसी के लिए यूं आसान नहीं राह…
-एक कोर्स/ब्रांच में पढ़ाई के दौरान कैसे मिलेगा दूसरे संस्थान में पढऩे का अवसर
-विद्यार्थी को खास पेपर पढऩे की मंजूरी देने के संस्थानों को बदलने होंगे एक्ट
-विद्यार्थी का माइग्रेशन मूल संस्थान में रहेगा या नई संस्था में होगा ट्रांसफर
-संस्थान में विद्यार्थी के जाने से खाली हुई सीट
-फीस की कैसे होगी भरपाई
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देश उच्च/तकनीकी शिक्षण संस्थानराज्य स्तरीय यूनिवर्सिटी-800
केंद्रीय विश्वविद्यालय-47
कॉलेज-40-45 हजार
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-23
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान-31
भारतीय प्रबंधन संस्थान-20
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी-23
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यूजीसी की नेशनल एकेडेमिक एकेडेमिक क्रेडिट बैंक योजना के बारे में सुना है। इसकी नियमावली क्या होगी, अंक-क्रेडिट कैसे ट्रांसफर होंगे यह विस्तृत अध्ययन का विषय है। प्रो. अरविंद पारीक, विभागाध्यक्ष बॉटनी एमडीएस यूनिवर्सिटी
जिन संकायों में विषय आंतरिक रूप से जुड़े हैं वहां तो यह योजना कामयाबी हो सकती है। अगर इससे विद्यार्थियों को खास विषय पढऩे का फायदा मिलता है, तो अच्छा कदम रहेगा।
डॉ. आलोक चतुर्वेदी रीडर एसपीसी-जीसीए
जिन संकायों में विषय आंतरिक रूप से जुड़े हैं वहां तो यह योजना कामयाबी हो सकती है। अगर इससे विद्यार्थियों को खास विषय पढऩे का फायदा मिलता है, तो अच्छा कदम रहेगा।
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