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Birla Open Mind School: बिरला ओपन माइंड स्कूल पर लगा 1 लाख रुपए का जुर्माना, PMO में हुई थी शिकायत, अधिक रेट में बेची किताबें और ड्रेस

Birla Open Mind School: एक ही दुकान से किताबें और ड्रेस खरीदने को किया मजबूर, स्कूल की मनमानी से परेशान एक अभिभावक ने की थी शिकायत, जांच के बाद डीईओ ने की कार्रवाई

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Birla Open Mind School

Birla Open Mind School Sargavan Ambikapur (Photo- Patrika)

अंबिकापुर। निजी स्कूलों की मनमानी आज भी जारी है। वे उनके स्कूल (Schools in Surguja) में पढऩे वाले बच्चों के अभिभावकों को महंगी किताबें और ड्रेस खरीदने को विवश करते हैं। ऐसा ही एक मामला अंबिकापुर के सरगवां स्थित बिरला ओपन माइंड स्कूल से सामने आया है। स्कूल प्रबंधन (Birla Open Mind School) द्वारा अधिक दर पर किताबें व ड्रेस बेची गईं, वहीं एक ही दुकान से किताबें खरीदने अभिभावकों को मजबूर किया गया। इसकी शिकायत एक अभिभावक ने पीएमओ में की थी। इसकी जांच डीईओ ने कराई। जांच में मामला सही पाए जाने पर डीईओ ने स्कूल पर 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। वहीं स्कूल की मान्यता समाप्त करने की भी चेतावनी दी है।

अंबिकापुर के सरगवां में पिछले 3 साल से बिरला ओपन माइंड स्कूल (Birla Open Mind School) संचालित है। यहां कक्षा नर्सरी से 8वीं तक के बच्चों के लिए किताबें व ड्रेस लेने एक दुकान फिक्स कर दिया गया है। वहीं स्कूल में एससीईआरटी व एनसीईआरटी की जगह निजी प्रकाशकों की किताबें चलाई जा रही हैं, जिनकी कीमत काफी ज्यादा हैं।

अभिभावकों को एक ही दुकान से किताबें व ड्रेस महंगे दामों पर लेने के लिए विवश किया जा रहा है। एक अभिभावक अंबिकापुर निवासी राहुल अग्रवाल की बच्ची भी वहीं पढ़ती है। उसने मामले की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की वेबसाइट में की थी। इसमें उल्लेख किया गया था कि स्कूल (Birla Open Mind School) में एनपीई लागू नहीं है।

वहीं निजी प्रकाशक की पतली 24 पन्ने की किताब 650 रुपए में बेची जा रही है तथा ड्रेस व किताबें निजी दुकानदार से खरीदने का विवश किया जा रहा है। पीएमओ से मिले निर्देश पर सरगुजा डीईओ दिनेश कुमार झा ने मामले की जांच अंबिकापुर मे मणिपुर हायर सेकेंडरी स्कूल के प्राचार्य से कराई।

Birla Open Mind School: जांच में मिली भारी अनियमितता

प्राचार्य ने मामले की जांच की तो बिरला ओपन माइंड स्कूल (Birla Open Mind School) में एससीईआरटी व एनसीईआरटी की किताबें लागू नहीं थीं। यहां चलाई जा रही किताबों व डे्रस की कीमत काफी अधिक थी। नर्सरी की 10 किताबों की कीमत 2946 रुपए, एलकेजी की 3692 रुपए, यूकेजी की 4508 रुपए, क्लास-1 की 4546, क्लास-2 की 4675 रुपए, क्लास थ्री की 5106 रुपए हैं।

इसी प्रकार क्लास 4 की 5332, क्लास-5 की 6517, क्लास सिक्स की 5700, क्लास-7 की 7395 तथा क्लास-8 की किताबें 7576 रुपए की हैं। इसके अलावा नर्सरी से यूकेजी तक के डे्रस 4300 रुपए में बेची जा रही थी।

स्कूल पर लगाया 1 लाख का जुर्माना

जांच में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि स्कूल (Birla Open Mind School) की संबद्धता छत्तीसगढ़ बोर्ड से होने के बाद भी यहां एससीईआरटी की किताबें लागू नहीं की गई हैं। वहीं कक्षा नर्सरी से 8वीं तक की किताबें शहर के केदारपुर भट्ठी रोड स्थित एक ही फर्म किताब घर में ही उपलब्ध है। यह स्कूल प्रबंधन की अनुचित लाभ के लिए संलिप्तता को प्रदर्शित करता है।

नोटिस का जवाब भी संतोषप्रद नहीं पाया गया। कार्रवाई पत्र में उल्लेख है कि आपका यह कृत्य आपत्तिजनक व नियमों के विपरीत है। इस पर डीईओ ने स्कूल प्रबंधन (Birla Open Mind School) पर 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। वहीं चेतावनी दी है कि यदि दोबारा इसकी पुनरावृत्ति की गई तो स्कूल की मान्यता समाप्त कर दी जाएगी।