बॉलीवुड

‘मेरा बाप चोर है…’ 1975 की दीवार के इस फेमस डायलॉग को खास वजह से लिखा गया था बच्चे के हाथ पर

50 Years of Deewar: 1975 यानी 50 साल पहले एक फिल्म दीवार की कहानी और डायलॉग्स उस दौर की जानी मानी जोड़ी सलीम-जावेद ने मात्र 38 दिनों में लिखे थे। फिल्म का डायलॉग, मेरा बाप चोर है…' को बच्चे के हाथ पर लिखने के पीछे की वजह आज आपको बताते हैं।

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Aug 31, 2025
1975 के ब्लॉकबस्टर फिल्म दीवार का एक सीन। (फोटो सोर्स: X)

50 Years of Deewar: 1975 यानी 50 साल पहले एक फिल्म आई थी नाम था ‘दीवार’, जो बॉलीवुड की कल्ट फिल्मों में से एक साबित हुई। अमिताभ बच्चन, शशि कपूर, नीतू सिंह, परवीन बाबी, निरूपा राय और अमजद खान जैसे दिग्गज कलाकारों ने अपने बेहतरीन अभिनय से फिल्म को चार-चांद लगाए थे। फिल्म की कहानी और डायलॉग्स उस दौर की जानी मानी जोड़ी सलीम-जावेद ने लिखे थे। आपको बता दें कि फिल्म का स्क्रीनप्ले और डायलॉग्स मात्र 38 दिनों में लिखे गए थे। जावेद अख्तर ने खुद इस बात को एक इंटरव्यू में बताया था।

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दीवार के फेमस डायलॉग्स (Famous Dialogues of Deewar)

दीवार फिल्म से अमिताभ बच्चन को एक नई पहचान मिली थी। लोगों ने उनको एंग्री यंग मैन का टाइटल दे दिया था। और तभी से बॉलीवुड में बिग बी एंग्री यंग मैन नाम से भी पहचाने जाने लगे थे। लेकिन इसका श्रेय फिल्म के डायलॉग्स को भी जाता है। सलीम-जावेद ने इसके संवाद इतने दमदार लिखे थे कि लोगों को मुंह जबानी याद हैं आज भी। फिल्म के कुछ डायलॉग्स,

"आज मेरे पास बंगला है, गाड़ी है, बैंक बैलेंस है, क्या है तुम्हारे पास?"

"मैं आज भी फेंके हुए पैसे नहीं उठाता"

"जाओ पहले उस आदमी का साइन लेकर आओ जिसने मेरे हाथ पर लिख दिया कि मेरा बाप चोर है…",

'तुम लोग मुझे वहां ढूंढ रहे थे और मैं यहां तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं… '

ये कुछ ऐसे डायलॉग्स हैं जिनको भूलना आसान नहीं है।

बच्चे के हाथ पर क्यों लिखा गया एक डायलॉग?

फिल्म दीवार का एक सीन। (फोटो सोर्स: X)

फिल्म का वो सीन तो आपको याद ही होगा जब समाज के कुछ ठेकेदार बच्चे विजय (जिसका किरदार अलंकार जोशी ने निभाया था) के हाथ पर लिख देते हैं, "मेरा बाप चोर है…"। ये सीन बहुत ही दर्दनाक था। जावेद अख्तर ने अपने इंटरव्यू में बताया कि इस सीन को फिल्माने से पहले काफी डिस्कशन हुआ था। हम सीन को यादगार बनाना चाहते थे और फिल्म में ये चीज हर वक्त हीरो के दिमाग में रहे ताकि वो समाज के प्रति अपना गुस्सा दिखाता रहे, उसको अपना बचपन और उससे जुड़ी बुरी यादें सताती रहें। इसलिए ये सोचा गया कि इसको बच्चे के हाथ पर लिखा जाए ताकि समाज के प्रति उसकी नफरत बरक़रार रहे पूरी कहानी में। हमने ऐसा ही किया और ये सीन और डायलॉग हमेशा के लिए यादगार बन गया।

कम बजट में बनी यश चोपड़ा की 'दीवार' ने देश ही नहीं विदेश में भी धमाल मचाया और भारतीय सिनेमा को एक अलग पहचान दिलाई थी। 1975 के Film Fare Awards में दीवार को सात अवॉर्ड्स मिले थे।

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