नेपाल के शिक्षा मंत्री गिरिराज मणि पोखरल के अनुसार किताब का प्रकाशन भारत की कार्रवाई के जवाब में किया है। उनका कहना है कि भारत ने बीते साल कालापानी को लेकर सीमा में दिखाते हुए नक्शा जारी किया था। वहीं नेपाल कालापानी को अपने क्षेत्र में बताता रहा है। नेपाल की नई किताबों में बच्चों को नेपाल के क्षेत्र के बारे में पढ़ाया जा रहा है। इस पाठ्यक्रम में सीमा विवादों का जिक्र भी किया गया है।
इसमें भारत के साथ विवाद को भी जोड़ा गया है। ऐसे में यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या ऐसा करना जरूरी थी। खासकर ऐसे वक्त में जब सरकार के सामने कई दूसरी प्राथमिकताएं हैं। इस साल यह विवाद मई में बढ़ गया था, जब भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कैलाश मानसरोवर के लिए लिपुलेख से होते हुए लिंक रोड का उद्घाटन कर दिया था। इसके जवाब में नेपाल ने अपना नया नक्शा जारी किया था। इसमें कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा तीनों उसके क्षेत्र बताए गए थे।
नेपाल ने लगाया भारत पर आरोप किताब के अनुसार 1962 के चीन युद्ध के बाद तत्कालीन पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी सेना कुछ वक्त तक नेपाल रखने की इजाजत मांगी थी। इसमें दावा कर कहा गया है कि सेना हटाने की बजाय भारत सरकार ने नक्शा जारी कर क्षेत्र को अपना बता दिया था। इसमें आरोप लगाया गया है कि भारत ने सीमा से लगे जिलों में सोच-समझकर अतिक्रमण किया है।