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छत्तीसगढ़ के इस गांव में दशहरा का अलग रूप: 70 सालों से हो रही रावण की पूजा, भगवान राम के मंदिर के सामने भी नहीं जलता पुतला

Dussehra 2025: गुरुर विकासखंड के ग्राम तार्री में लगभग 70 वर्षों से विजयदशमी के दिन रावण के पुतले का दहन नहीं किया जाता बल्कि यहां रावण की मूर्ति की पूजा की जाती है।

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यहां नहीं होता रावण दहन (AI)

Dussehra 2025: बालोद जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर के गुरुर विकासखंड के ग्राम तार्री में लगभग 70 वर्षों से विजयदशमी के दिन रावण के पुतले का दहन नहीं किया जाता बल्कि यहां रावण की मूर्ति की पूजा की जाती है। यहां भगवान राम के साथ रावण की पूजा होती है।

रावण की प्रतिमा के सामने भगवान राम का मंदिर

रोचक बात यह है कि जिस जगह रावण की प्रतिमा है, ठीक उसके सामने भगवान राम जानकी का मंदिर भी है। ग्रामीणों ने बताया कि इस गांव के लोग लंकापति रावण को बेहद ज्ञानी पंडित मानकर उसकी पूजा करते हैं। इस दिन असत्य पर सत्य की जीत पर भगवान राम की पूजा भी करते है।

नेवारीकला में रावण को सात अग्निबाण मारने की परंपरा

जिले के नेवारीकला में रावण का पुतला तो नहीं जलाते, लेकिन यहां साल 1947 से कांक्रीट की प्रतिमा बनाकर रावण का पूजा की जाती है। राम लीला के बाद रावण की प्रतिमा में भगवान राम का पात्र निभा रहे कलाकार रावण की प्रतिमा पर सात बार अग्निबाण छोड़ कर पानी से भरे मटके को फोड़ कर दशहरा मनाते हैं।