यूपीए सरकार के द्वितीय कार्यकाल में 03 जून 2011 को तत्कालीन यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने डूंगरपुर रेलवे स्टेशन के समीप इस परियोजना का शिलान्यास किया था। तत्कालीन समय में पांच वर्ष में प्रोजेक्ट पूरा करने का लक्ष्य लिया था। वर्ष 2013 में प्रदेश में सरकार बदलने के बाद भाजपा सरकार ने इस परियोजना में जरा भी रूचि नहीं दिखाई। रेलवे को जमीन तक उपलब्ध नहीं हुई। पूर्व में जारी बजट के आधार पर अर्थवर्क आदि चलते रहे, लेकिन बाद में रेलवे ने भी काम बंद कर दिया। साथ ही परियोजना के लिए नियुक्त स्टाफ भी हटा लिया।
परियोजना पर 31 मार्च 2019 तक 184.21 करोड़ रुपए व्यय किए जा चुके थे। रेल मंत्री ने बताया कि इस परियोजना के लिए 1736 हैक्टेयर भूमि की जरूरत है। इसमें से केवल 646 हैक्टेयर भूमि ही रेलवे को सौंपी गई है। जमीन मालिकों को भी मुआवजे के रूप में राजस्थान सरकार की ओर से 62.71 करोड़ रुपए भुगतान किया गया है।