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सांसद कटारा के सवाल का रेलमंत्री गोयल ने संसद में दिया जवाब, कहा- राज्य सरकार ने जमीन नहीं दी इसलिए स्थगित की परियोजना

locationबांसवाड़ाPublished: Jul 04, 2019 03:18:00 pm

Submitted by:

Varun Bhatt

Dungarpur-Banswara-Ratlam Rail Line Project : डूंगरपुर-बांसवाड़ा-रतलाम रेल परियोजना का मामला, रेलमंत्री ने कहा, राज्य से जमीन और हिस्सा राशि नहीं मिलने से रेलवे ने स्थगित की परियोजना

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सांसद कटारा के सवाल का रेलमंत्री गोयल ने संसद में दिया जवाब, कहा- राज्य सरकार ने जमीन नहीं दी इसलिए स्थगित की परियोजना

बांसवाड़ा/डूंगरपुर. लंबे समय से ठप हुई डूंगरपुर-बांसवाड़ा-रतलाम रेल परियोजना को लेकर पूर्ववर्ती प्रदेश सरकार की बेरूखी संसद में उजागर हो गई। सांसद कनकमल कटारा की ओर से लोकसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में रेलवे मंत्री पीयूष गोयल ने प्रदेश की ओर से जमीन और हिस्सा राशि नहीं दिए जाने से रेलवे की ओर से परियोजना स्थगित किए जाने की अधिकृत जानकारी दी। मंत्री गोयल ने कहा कि रेलवे और राजस्थान सरकार के बीच समझौता ज्ञापन के मुताबिक राजस्थान सरकार ने इस परियोजना के लिए कुल अपेक्षित भूमि उपलब्ध नहीं कराई और ना ही रेलवे को अपना शेयर जमा कराए। प्रश्नकाल में सांसद कटारा ने इस संबंध में सवाल किया था। जवाब में गोयल ने कहा कि बांसवाड़ा के रास्ते 188.85 किलोमीटर लम्बी रतलाम-डंूगरपुर नई रेलवे लाइन को वर्ष 2011-12 में इस प्रावधान के साथ स्वीकृत किया गया था कि इस परियोजना की अंतिम निर्माण लागत की 50 फीसदी लागत राजस्थान सरकार की ओर से वहन की जाएगी। परियोजना के लिए भूमि भी राजस्थान सरकार की ओर से नि:शुल्क मुहैया कराई जाएगी। वर्ष 2015-16 के मूल्य स्तर पर इस परियोजना की लागत 2562 करोड़ रुपए है, जो आगे और बढ़ जाएगी।
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स्टाफ तक हटा चुका है रेलवे
यूपीए सरकार के द्वितीय कार्यकाल में 03 जून 2011 को तत्कालीन यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने डूंगरपुर रेलवे स्टेशन के समीप इस परियोजना का शिलान्यास किया था। तत्कालीन समय में पांच वर्ष में प्रोजेक्ट पूरा करने का लक्ष्य लिया था। वर्ष 2013 में प्रदेश में सरकार बदलने के बाद भाजपा सरकार ने इस परियोजना में जरा भी रूचि नहीं दिखाई। रेलवे को जमीन तक उपलब्ध नहीं हुई। पूर्व में जारी बजट के आधार पर अर्थवर्क आदि चलते रहे, लेकिन बाद में रेलवे ने भी काम बंद कर दिया। साथ ही परियोजना के लिए नियुक्त स्टाफ भी हटा लिया।
अब तक 184.21 करोड़ खर्च
परियोजना पर 31 मार्च 2019 तक 184.21 करोड़ रुपए व्यय किए जा चुके थे। रेल मंत्री ने बताया कि इस परियोजना के लिए 1736 हैक्टेयर भूमि की जरूरत है। इसमें से केवल 646 हैक्टेयर भूमि ही रेलवे को सौंपी गई है। जमीन मालिकों को भी मुआवजे के रूप में राजस्थान सरकार की ओर से 62.71 करोड़ रुपए भुगतान किया गया है।

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