अगर वह कार्मिक के रूप में सेवारत है तो वह नियमित विद्यार्थी के रूप में कॉलेजों में पंजीकृत नहीं हो सकता है। ऐसे में अगर तथ्य छिपाकर प्रवेशित विद्यार्थियों की सूचना 10 सितंबर तक विश्वविद्यालय कार्यालय एवं परीक्षा नियंत्रक कार्यालय को भेजनी होगी। एक ही समय अवधि में नियमित अध्ययन एवं राजकीय-निजी सेवारत होने पर विद्यार्थी का प्रवेश निरस्त किया जाएगा।
व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में ज्यादा गड़बड़ी के संकेत
सूत्र बताते हैं कि नौकरी करते हुए व्यावसायिक पाठ्यक्रमों जैसे एलएलबी, बीसीए और पीजीडीसीए में कई लोग इसलिए निजी कॉलेजों में नियमित प्रवेश लेकर डिग्रियां हासिल करने के जतन कर रहे हैं, जिससे उन्हें आगे लाभ मिले या मौजूदा नौकरी से बेहतर सेवा में जाने का आधार बने। इसके लिए नियमों से परे जाकर नियमित विद्यार्थी बन रहे हैं। चूंकि नौकरी करते उपस्थिति और वेतन ऑन रेकॉर्ड है, लिहाजा उसी समयावधि में रेग्यूलर कॉलेज जाकर पढ़ाई करना उनके लिए नामुमकिन है। लिहाजा उपस्थितियों में फर्जीवाड़ा हो रहा है। यह भी पढ़ें – Jaipur e-rickshaw Update : खुशखबर, जयपुर में अब 6 जोन में चलेंगे ई-रिक्शा, संख्या और रंग निर्धारित, अधिसूचना जारी सरकारी में सीटें कम, इसलिए भी निजी में हो रहा खेला
स्वयंपाठी की बजाय नियमित विद्यार्थी के रूप में कॉलेजों में प्रवेश का एक और अहम कारण यह भी है कि जनजाति जिलों में कॉमन कोर्स या सीटें कम हैं। नमूने के तौर पर बीएससी की बांसवाड़ा जिले की सरकारी कॉलेज में सीटें 60 ही हैं, जबकि यहां हर साल दो से ढाई हजार विद्यार्थी निजी कॉलेजों से डिग्री के लिए प्रवेश कर रहे हैं। इनमें कई ऐसे हैं जो सरकारी-गैरसरकारी नौकरियों में हैं और बगैर कक्षाएं उपस्थिति और प्रेक्टिकल अटेंड किए नियमित विद्यार्थी बने हुए हैं।
…तो एफआईआर भी संभव
जानकारों के अनुसार तथ्य छिपाकर नौकरी करते हुए नियमित विद्यार्थी बनकर डिग्री हासिल करने के बाद मामला सामने आने पर डिग्री निरस्त करने का प्रावधान है ही, इसके दीगर दस्तावेजों में गलतबयानी की पुष्टि पर एफआईआर दर्ज होने पर युवाओं का भविष्य भी खराब हो सकता है।