बीएन विश्वविद्यालय उदयपुर के भौतिक शास्त्र विभाग के प्रोफेसर एसएनए जाफरी के मुताबिक भारत में 16 जुलाई को आंशिक चंद्रग्रहण (Lunar And Solar Eclipse) रात एक बजकर 32 मिनट पर प्रारंभ होगा और 4 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगा। यह पूरे भारत में दिखाई देगा। इस दौरान केप्रिकोन समूह से कॉस्मिक विकिरणों के अध्ययन का वैज्ञानिक प्रेक्षण लेंगे, क्योंकि चंद्रमा पर ये विकिरण सीधे टक्कर देंगी और चंद्रमा की सतह ऊर्जावान होगी।
गत वर्ष 27 जुलाई को सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण देखने को मिला था, जिसे भारत सहित कई हिस्सों में देखा गया था। चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा पृथ्वी की सबसे गहरी छाया में दिखाई दिया था और सौ साल का सबसे लंबा ब्लड मून रहा था। इसके चार दिन बाद 31 जुलाई को एक अन्य खगोलीय घटना (Astronomical Phenomena) में मंगलग्रह पृथ्वी से सबसे निकटतम दूरी पर आया था। इस बार वैज्ञानिकों की दृष्टि गुरुत्वाकर्षण तरंगों के मापन में तथा सूर्य के कोरोना में एकत्र ऊर्जा जानने में लगेगी, क्योंकि इस बार सूर्यशांत है। वहां विस्फोट आदि सबसे न्यूनतम हैं।
चीली के ला सेरेना और अर्जेन्टीना रियो क्यूर्टो में पूर्ण सूर्यग्रहण भारतीय समयानुसार शाम को छह बजकर एक मिनट आठ सैकण्ड पर आरंभ होगा और आठ बजकर 44 मिनट 46 सैकण्ड पर समाप्त हो जाएगा। पूर्ण सूर्यग्रहण केवल सात बजकर 22 मिनट 57 सैकण्ड पर होगा। सूर्यग्रहण का घटनाक्रम दो घंटे 43 मिनट और 38 सैकण्ड रहेगा। वैज्ञानिक अपनी पूर्ण तैयारी के साथ ला सेरेना तथा रियो क्यूर्टो में दो जुलाई को अपने उपकरणों और दूरदर्शी यंत्रों के साथ पहुंचेंगे।