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समाज ने दी बहिष्कार की धमकी, मुस्लिम महिला रेशमा ने तुलसी माला बनाना सीख पति को कराया व्यवसाय

locationभरतपुरPublished: Oct 21, 2020 11:03:23 am

Submitted by:

Meghshyam Parashar

-रूपवास के गांव खानुआ निवासी रेशमा की सफलता की कहानी

समाज ने दी बहिष्कार की धमकी, मुस्लिम महिला रेशमा ने तुलसी माला बनाना सीख पति को कराया व्यवसाय

समाज ने दी बहिष्कार की धमकी, मुस्लिम महिला रेशमा ने तुलसी माला बनाना सीख पति को कराया व्यवसाय

भरतपुर. यदि किसी महिला में पूर्ण आत्मविश्वास एवं लगन हो तो वह सामाजिक प्रतिबंधों को भी दरकिनार कर तेजी से आगे बढ़ सकती है। ऐसा ही कर दिखाया रूपवास तहसील क्षेत्र के खानुआ गांव निवासी रेशमा ने। इसने जब तुलसी माला बनाने का कार्य शुरू किया तो समाज के लोगों ने इसका जमकर विरोध किया और धमकी भी दी गई कि उसका सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाएगा लेकिन उसने इन प्रतिबंधों को दरकिनार कर अपना कार्य जारी रखा। इसकी वजह से आज वह प्रतिमाह तुलसी माला बनाकर 15 से 20 हजार रुपए आसानी से कमा रही है।
खानुआ गांव निवासी रेशमा अधिक पढ़ी लिखी नहीं थी। 12वीं कक्षा पास करने के बाद उसकी शादी कर दी गई। शादी के बाद रेशमा ने देखा कि उसके ससुराली जनों के पास खेती योग्य जमीन कम होने के कारण बहुत कम आय मिल रही है। जिस पर उसने अपना कोई रोजगार शुरू करने के लिए विचार बनाया। रेशमा एक संस्था की ओर से गांव में बनाए गए महिला स्वयं सहायता समूह में सदस्य के रूप में शामिल हुई और 25 हजार रुपए का ऋण लेकर पहले बकरी पालन का काम शुरू किया लेकिन वह यहां तक भी नहीं रुकी और तुलसीमाला बनाने के कार्य में रुचि लेने लगी। जब रेशमा तुलसीमाला बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही थी तो समाज के लोगों ने इसका विरोध किया और कहा कि यह कार्य उनके धर्म विरूद्ध है और यदि उसने तुलसीमाला बनाने का काम शुरू किया तो उसे समाज से बहिष्कृत कर दिया जाएगा लेकिन रेशमा ने उसकी कोई परवाह नहीं कि बल्कि तुलसीमाला प्रशिक्षण लेने के बाद संस्था की ओर से उपलब्ध कराई गई मशीन पर काम जारी रखा। वह तुलसीमाला के लिए तुलसी की लकड़ी खरीदने के लिए मथुरा व आस पास के क्षेत्रों में आती और विक्रय के लिए मथुरा, वृन्दावन, गोवर्धन व जैंत आदि कस्बों में सम्पर्क करती। धीरे-धीरे उसका कार्य बढ़ता चला गया और अपने साथ करीब आधा दर्जन महिलाओं को भी अपने काम में शामिल कर लिया।
बोली: सभी धर्म समान, व्यवसाय रोटी के लिए जरूरी

रेशमा ने कहा कि जीवन में व्यवसाय बहुत आवश्यक है। सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए। व्यवसाय में कोई धर्म नहीं होता। रेशमा की ओर से बनाई गई तुलसी की मालाएं अधिक आकर्षक एवं डिजाइनदार होने के वजह से बाजार में मांग बढ़ती चली गई। उसने तुलसीमाला निर्माण के साथ आंगनबाड़ी केन्द्रों में पोषाहार उपलब्ध कराने का कार्य शुरू किया लेकिन कोरोना लॉकडाउन के कारण पोषाहार का कार्य बन्द हो गया फिर भी तुलसीमाला निर्माण का काम जारी रहा। तुलसीमाला निर्माण से हुई आय से अपने पति समसुदीन को गांव में ही मिठाई की दुकान खुलवा दी। पति-पत्नी की हुई आय की वजह से अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाना शुरू कर दिया। रेशमा का मानना है कि कोई भी महिला यदि पूर्ण लगन व मेहनत से कार्य करे तो निश्चय ही वह सफलता प्राप्त कर सकती है। वह मानती है कि तुलसीमाला का कार्य कभी भी कम होने वाला नहीं है क्योंकि धार्मिक स्थलों पर इसकी बिक्री निरन्तर बढ़ती जा रही है।
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