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यहां शराब सेवन से एक मौत के बाद बनाया खुद का कानून, शराब बेचना और पीना मानते हैं अपराध

locationभरतपुरPublished: Oct 21, 2020 10:40:54 am

Submitted by:

Meghshyam Parashar

सीकरी के गांव पुनाय की बदलाव की कहानी

यहां शराब सेवन से एक मौत के बाद बनाया खुद का कानून, शराब बेचना और पीना मानते हैं अपराध

यहां शराब सेवन से एक मौत के बाद बनाया खुद का कानून, शराब बेचना और पीना मानते हैं अपराध

भरतपुर. यूं तो किसी भी क्षेत्र में शराब की दुकान आपको थोड़ी-थोड़ी दूरी पर ही मिल जाती हैं, लेकिन सीकरी क्षेत्र के गांव पुनाय में करीब दो दशकों से शराब बेचने पर पाबंदी लगाई थी जो कि आज तक जारी है। गांव में शराब बेचने तथा गांव के सार्वजनिक स्थान पर शराब का सेवन करना गांव में गुनाह है। इसके लिए ग्रामीणों की ओर से शराब बेचने वाले एवं पीने वाले पर जुर्माना लगाया जाता है।
ग्रामीणों ने बताया कि करीब 20 वर्ष पहले गांव में कुछ लोग अवैध शराब बेचने का कार्य करते थे। इससे ज्यादातर ग्रामीण शराब का सेवन करने के आदी भी हो गए थे। उसी दौरान शराब का सेवन करने से एक युवक की मौत हो गई थी। इससे ग्रामीणों ने गांव में विशाल पंचायत आयोजित की। उसी पंचायत में ग्रामीणों ने गांव में पूर्ण रूप से शराबबंदी का फैसला लिया तथा शराब बेचने व गांव में सार्वजनिक स्थान पर शराब पीने वालों से जुर्माना वसूल करने का निर्णय लिया गया। ग्रामीणों की ओर से शराब बेचने वालों की निगरानी की गई। जो भी शराब बेचते पाया गया उस पर जुर्माना लगाया गया। उसके बाद एक-दो बार शराब बेचने वालों से कठोरता से जुर्माना भी वसूला गया। करीब दो दशक पहले बने गांव के जुर्माना वसूलने तथा शराबबंदी के बाद आज भी गांव में शराब बेचने तथा सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीने पर पाबंदी है। आज तक गांव में कोई भी शराब नहीं बेचता है। क्षेत्र में आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न इस गांव में करीब दो हजार की आबादी है। शराब बंदी के बाद गांव में धीरे-धीरे बहुत बदलाव हुआ। शराब के सेवन के आदी लोग अपने कार्यों के अलावा अपने परिवार पर ध्यान देते है। शराब बंदी से आए इस बदलाव को अन्य गांवों में भी सकारात्मक प्रभाव हुआ और ग्रामीण भी इस तरह की पाबंदी लगाने लगे।
जिले के दर्जनों गांवों में हुए हैं ऐसे निर्णय

जिले में पिछले चार-पांच साल के दौरान दर्जनों गांवों में इस तरह के निर्णय हुए हैं। बता दें कि पिछले कुछ वर्ष पहले राज्यभर में शराबबंदी को लेकर एक आंदोलन शुरू किया गया था। इसके बाद विभिन्न समाजों की ओर से गांवों में पंचायत कर शराबबंदी का निर्णय लागू करते हुए जुर्माना राशि तय की गई थी। इससे स्थिति यह हुई कि काफी गांवों में आज बदलाव की तस्वीर निकल कर सामने आई है। हालांकि पिछले कुछ समय से ऐसे निर्णय कम हुए हैं, परंतु आज भी सेवर, कुम्हेर, डीग समेत जिले के दर्जनों गांवों में जनप्रतिनिधियों की सहमति व ग्रामीणों के संकल्प के कारण गांव में शराब बेचने व पीकर आने वालों से जुर्माना वसूल किया जाता है।
मेव समाज भी कर चुका है कुरीतियों के निवारण को लेकर पहल

करीब तीन वर्ष पहले मेव समाज की ओर से भी दहेज प्रथा समेत विभिन्न कुरीतियों के निवारण का संकल्प लेकर पहल कर चुका है। उस समय मेव समाज की शादियों में दिए जाने वाले दहेज और भात, हकीका आदि पर किए जाने वाली फिजूलखर्ची को रोकने के लिए नूंह के लोक निर्माण विश्रामग्रह पर बैठक हुई थी। उस पंचायत में धार्मिक गुरु राजनेताओं के बीच सर्व सम्मति से समाज विरोधी 11 बिंदुओं को लेकर गांव-गांव जाने के अलावा सामूहिक विवाह सम्मेलन कराने का फैसला लिया गया था। इतना ही नहीं समाज के ही व्यक्ति की ओर से हर साल सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन भरतपुर में ही कराया जाता रहा है।

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