जिले के दर्जनों गांवों में हुए हैं ऐसे निर्णय जिले में पिछले चार-पांच साल के दौरान दर्जनों गांवों में इस तरह के निर्णय हुए हैं। बता दें कि पिछले कुछ वर्ष पहले राज्यभर में शराबबंदी को लेकर एक आंदोलन शुरू किया गया था। इसके बाद विभिन्न समाजों की ओर से गांवों में पंचायत कर शराबबंदी का निर्णय लागू करते हुए जुर्माना राशि तय की गई थी। इससे स्थिति यह हुई कि काफी गांवों में आज बदलाव की तस्वीर निकल कर सामने आई है। हालांकि पिछले कुछ समय से ऐसे निर्णय कम हुए हैं, परंतु आज भी सेवर, कुम्हेर, डीग समेत जिले के दर्जनों गांवों में जनप्रतिनिधियों की सहमति व ग्रामीणों के संकल्प के कारण गांव में शराब बेचने व पीकर आने वालों से जुर्माना वसूल किया जाता है।
मेव समाज भी कर चुका है कुरीतियों के निवारण को लेकर पहल करीब तीन वर्ष पहले मेव समाज की ओर से भी दहेज प्रथा समेत विभिन्न कुरीतियों के निवारण का संकल्प लेकर पहल कर चुका है। उस समय मेव समाज की शादियों में दिए जाने वाले दहेज और भात, हकीका आदि पर किए जाने वाली फिजूलखर्ची को रोकने के लिए नूंह के लोक निर्माण विश्रामग्रह पर बैठक हुई थी। उस पंचायत में धार्मिक गुरु राजनेताओं के बीच सर्व सम्मति से समाज विरोधी 11 बिंदुओं को लेकर गांव-गांव जाने के अलावा सामूहिक विवाह सम्मेलन कराने का फैसला लिया गया था। इतना ही नहीं समाज के ही व्यक्ति की ओर से हर साल सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन भरतपुर में ही कराया जाता रहा है।