
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस! भिलाई इस्पात संयंत्र के 60% कर्मचारी तनाव, BP और शुगर के शिकार...(photo-patrika)
CG News: छत्तीसगढ़ के भिलाई इस्पात संयंत्र में कर्मियों की संख्या पांच गुना घट चुकी है। बिना अनुभवी ठेका श्रमिकों को नियमित कर्मियों के स्थान पर ड्यूटी में लगाया जा रहा है। इससे नियमित कर्मियों पर काम का दबाव लगातार बढ़ रहा है। नियमित कर्मचारियों को अलग-अलग शिफ्ट में काम के मुताबिक बुलाया जा रहा है। इसका असर कर्मियों के सेहत पर पड़ रहा है। काम का ज्यादा दबाव मनोरोगी बना रहा है।
दुर्ग सीएमएचओ डॉ. मनोज दानी ने कहा की तनाव की वजह से लोग मनोरोग के शिकार होते हैं। दूसरे से तुलना करने से तनाव बढ़ता है, इससे लोग मनोरोग का शिकार होते हैं। मनोरोग का जो शिकार हो रहे हैं, उन्हें खुश रखें, उनके साथ समय बिताएं, इससे धीरे-धीरे उनकी तबीयत में सुधार हो जाएगा।
संयंत्र में शिफ्ट ड्यूटी के दौरान रात की शिफ्ट में काम करना कठिन है। सेहत पर इसका गंभीर परिणाम पड़ता है। इतना ही नहीं प्रभाव पारिवारिक व सामाजिक जीवन में भी पड़ता है। बीएसपी से हर साल करीब 1000 कर्मचारी रिटायर्ड हो रहे हैं। उनके स्थान पर नए नियमित कर्मियों की भर्ती नहीं हो रही है।
बल्कि उनका जगह ठेका मजदूर ले रहे हैं। ऐसे मजदूर जिनको प्रशिक्षण की जरूरत है। नए मजदूरों को कार्य दिए जाने से नियमित कर्मियों को अपने काम के साथ-साथ उनके कार्य को भी अंजाम देना पड़ता है। 63 हजार कर्मियों के साथ पर अब 10 हजार नियमित कर्मचारी प्लांट में काम कर रहे हैं।
भिलाई इस्पात संयंत्र में काम करने वाले 45 साल से अधिक उम्र के कार्मिकों को शुगर और बीपी की शिकायत है। डॉक्टर के अनुसार यह भी मनोरोग का ही विकार है। कर्मियों की नींद तक पूरी नहीं हो रही है। वे घर में रहने के दौरान भी ड्यूटी के विषय में सोचते रहते हैं। इससे शुगर और बीपी बढ़ती है। कार्मिक सेक्टर-9 अस्पताल से दवा लेकर उपयोग कर रहे हैं।
बीएसपी के सेक्टर 9 अस्पताल में हर दिन करीब 35 मरीज मनोरोग के पहुंच रहे हैं। इसके अलावा निजी अस्पताल में भी कर्मचारी और अधिकारी मनोरोग का इलाज करवा रहे हैं। सेक्टर 9 अस्पताल में इसके लिए अलग से एक विभाग इसका है, जहां मनोरोगियों का इलाज किया जाता है। करीब दस फीसदी ऐसे भी हैं, जो निजी अस्पताल से इलाज करवा रहे हैं।
Published on:
10 Oct 2025 03:45 pm
बड़ी खबरें
View Allभिलाई
छत्तीसगढ़
ट्रेंडिंग
