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जमीन मिली थी प्रेस के लिए, भास्कर समूह ने बना लिया व्यावसायिक कॉम्पलेक्स

विभाग ने राजसात और बेदखली की कार्रवाई करने के दिए थे निर्देश, तीन साल पहले आवंटन रद्द होने के बावजूद कार्रवाई नहीं...।

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भोपाल

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Manish Geete

Aug 02, 2021

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भोपाल/रायपुर। मध्यप्रदेश के भास्कर समूह ने छत्तीसगढ़ में भी अपने रसूख का इस्तेमाल जमीन हथियाने में किया है। मीडिया का रसूख दिखाकर भास्कर प्रबंधन छत्तीसगढ़ सरकार सरकार से भी धोखाधडी करने से बाज नहीं आया। समूह को रायपुर के रजबंधा मैदान में समाचार-पत्र के लिए 45725 वर्गफीट जमीन शासन ने आवंटित की थी, लेकिन यहां बहुमंजिला व्यावसायिक काम्पलेक्स बना लिया है।

काम्पलेक्स की दुकानों को किराए पर देकर अच्छी खासी कमाई की जा चुकी है। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने 07 जुलाई 2017 को इस भूमि का आवंटन रद्द कर दिया था। विभाग ने कलेक्टर रायपुर को भास्कर काम्पलेक्स को राजसात और बेदखली की कार्रवाई रने को कहा था, जिस पर कार्रवाई अब तक नहीं हो सकी है।

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यह था आदेश

मार्च 2021 में आरटीआइ एक्टिविस्ट नारायण शर्मा ने आरटीआइ के जरिए इस संबध में दस्तावेज हासिल किए, जिसके मुताबिक भास्कर रायपुर छत्तीसगढ़ को तत्कालीन मध्यप्रदेश शासन ने 26 अगस्त 1985 को प्रेस स्थापित करने रजाबंधा मैदान में भूमि ब्लाक नं. 09 प्लाट नं 01 में से 45725 वर्गफीट भूमि आवंटित की थी। शर्त थी कि भूमि निर्धारित प्रयोजन के बजाए अन्य उपयोग में लाई जाएगी तो शासन वापस ले लेगा।

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ज्यादा पर कर लिया था कब्जा

तत्कालीन कलेक्टर ने जांच में पाया था कि रजबंधा मैदान पर 45725 वर्गफीट जमीन आवंटित की गई थी, लेकिन भास्कर ने 55900 वर्गफीट पर कब्जा कर लिया। इसके बाद अतिरिक्त कब्जे को जमीन कार्यालय के विस्तार के लिए भूमि आवंटन की स्वीकृति शर्तों समेत दी गई थी, लेकिन निर्धारित प्रब्याजि, वार्षिक भू भाटक जमा नहीं किया गया है।

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खत्म हो चुकी है लीज की अवधि

भास्कर समूह ने आवंटित भूमि की लीज अवधि समाप्त होने के बाद 31 मार्च 2015 से आगामी 30 वर्षों के लिए इसके नवीनीकरण का आवेदन 28 जनवरी 2015 को दिया था। कलेक्टर ने परीक्षण में पाया कि भास्कर उक्त भूमि का व्यावसायिक उपयोग कर रहा है। आवंटन की शर्तों का उल्लंघन पाने पर शासन ने उक्त भूमि वापस लेने की कार्रवाई शुरू कर दी थी।

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जमीन वापस लेने की कार्रवाई अधूरी

राजस्व आपदा प्रबंधन विभाग ने भास्कर प्रबंधन से आवंटन के नियमों को तोड़ने पर 23 जनवरी 2016 को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। शर्त थी कि जवाब नहीं देने पर माना जाएगा कि आरोप प्रबंधन को स्वीकार है। भास्कर ने तीन माह बाद पत्र के माध्यम से 60 दिन का समय मांगा। इसके बाद 11 मई 2016, 19 अक्टूबर 2016 एवं 28 जनवरी 2017 को कलेक्टर के माध्यम से नोटिस दिया था, जिसका जवाब प्रबंधन ने नहीं दिया।तब विभाग ने भास्कर काम्पलेक्स को राजसात और बेदखली की कार्रवाई करने को कहा था। तत्कालीन कलेक्टर का कहना है कि कार्रवाई से पहले आचार संहिता लागू हो गई। उसके बाद राजस्व मंडल में अफसर बदलते रहे और यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

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