
गुप्त नवरात्रि में इन मंत्रों से करें देवी को प्रसन्न और पाएं मनचाहा आशीर्वाद!
भोपाल। चैत्र और शारदीय नवरात्र में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के बारे में अधिकांश लोग जानते हैं। लेकिन वहीं साल में माघ और आषाढ़ में आने वाली गुप्त नवरात्रि gupt navratri के बारे में बहुत कम ही लोगों को पता है।
इस वर्ष आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि 13 जुलाई से प्रारंभ होगी और 21 जुलाई को इसका समापन होगा।
कब होते हैं गुप्त नवरात्र
चैत्र और आश्विन मास के नवरात्र के बारे में तो सभी जानते ही हैं जिन्हें वासंती और शारदीय नवरात्र भी कहा जाता है, लेकिन गुप्त नवरात्र gupt navratri 2018 आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में मनाये जाते हैं। गुप्त नवरात्र की जानकारी अधिकतर उन लोगों को होती है जो तंत्र साधना करते हैं।
माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि में पूजन ज्यादा कठिन होता है क्योंकि इस दौरान देवी अपने पूर्ण स्वरूप में होती है। ऐसे में साधकों को शुद्धता और नियम का खास ख्याल रखना पड़ता है। गुप्त नवरात्रि में देवी दुर्गा की आराधना के साथ ही तंत्र, मंत्र, यंत्र और सिद्धि की साधना को महत्वपूर्ण gupt navratri special mantras for quick results in hindi माना जाता है।
कहा जाता है कि तंत्र-मंत्र पर सिद्धियां पाने वाले साधक इस दौरान गुप्त स्थान पर रहकर देवी के स्वरूपों के साथ दस महाविद्याओं की साधना करते है।
ये है पूजन विधि pooja vidhi of gupt navratri...
गुप्त नवरात्र के दौरान भी पूजा अन्य नवरात्र की तरह ही करनी चाहिये। नौ दिनों तक व्रत का संकल्प लेते हुए प्रतिपदा को घटस्थापना कर प्रतिदिन सुबह शाम मां दुर्गा की पूजा की जाती है। अष्टमी या नवमी के दिन कन्याओं के पूजन के साथ व्रत का उद्यापन किया जाता है। हालांकि इस बारे में किसी के साथ चर्चा नहीं करनी चाहिए।
गुप्त नवरात्रि पर विद्यार्थियों के लिए खास मंत्र...
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार गुप्त नवरात्रि को लेकर कई मान्यताएं हैं, लेकिन यह भी सच है कि इन दिनों कुछ खास मंत्रों के जाप से सफलता निश्चित मानी जाती है।
इसके लिए हर किसी की आवश्यकता के अनुसार मंत्र भी हैं। इनमें कुछ कुछ मंत्र खास तौर पर पढ़ने वाले छात्रों के लिए हैं, ताकि उनकी बुद्धि तेज होने के साथ ही उन्हें परीक्षा में अच्छे रिजल्ट की प्राप्ति हो।
छात्रों को इन मंत्रों का करना चाहिए जाप...
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता| नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:||
देवी वन्दना:
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी तुम को निस दिन ध्यावत
मैयाजी को निस दिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवजी ।| जय अम्बे गौरी॥
मांग सिन्दूर विराजत टीको मृग मद को |मैया टीको मृगमद को
उज्ज्वल से दो नैना चन्द्रवदन नीको|| जय अम्बे गौरी॥
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजे| मैया रक्ताम्बर साजे
रक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजे|| जय अम्बे गौरी॥
केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी| मैया खड्ग कृपाण धारी
सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी|| जय अम्बे गौरी॥
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती| मैया नासाग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति|| जय अम्बे गौरी॥
शम्भु निशम्भु बिडारे महिषासुर घाती| मैया महिषासुर घाती
धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती|| जय अम्बे गौरी॥
चण्ड मुण्ड शोणित बीज हरे| मैया शोणित बीज हरे
मधु कैटभ दोउ मारे सुर भयहीन करे|| जय अम्बे गौरी॥
ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी| मैया तुम कमला रानी
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी|| जय अम्बे गौरी॥
चौंसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरों| मैया नृत्य करत भैरों
बाजत ताल मृदंग और बाजत डमरू|| जय अम्बे गौरी॥
तुम हो जग की माता तुम ही हो भर्ता| मैया तुम ही हो भर्ता
भक्तन की दुख हर्ता सुख सम्पति कर्ता|| जय अम्बे गौरी॥
भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी| मैया वर मुद्रा धारी
मन वाँछित फल पावत देवता नर नारी|| जय अम्बे गौरी॥
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती| मैया अगर कपूर बाती
माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती|| बोलो जय अम्बे गौरी॥
मां अम्बे की आरती जो कोई नर गावे| मैया जो कोई नर गावे
कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पति पावे|| जय अम्बे गौरी॥
राशि अनुसार गुप्त नवरात्रि में करें इन मंत्रों का जाप rashi mantras for gupt navratri...
जल्द ही गुप्त नवरात्रि आने वाली है। इस नवरात्रि में भी देवी वरदान देती है। शारदेय और चैत्र के समान ही इसका भी महत्व है। पंडित सुनील शर्मा के अनुसार इस दौरान हर राशि वाले जातक को भी अपनी राशि के मंत्र से माता की पूजा करने से अच्छे फल की प्राप्ति होती है।
1. मेष राशि:
ॐ ह्रीं उमा देव्यै नम:। अथवा ॐ ऐं सरस्वत्यै नम:।
2. वृष राशि:
ॐ क्रां क्रीं क्रूं कालिका देव्यै नम:।
3. मिथुन राशि:
ॐ दुं दुर्गायै नम:।
4. कर्क राशि:
ॐ ललिता देव्यै नम:।
5. सिंह राशि:
ॐ ऐं महासरस्वती देव्यै नम:।
6. कन्या राशि:
ॐ शूल धारिणी देव्यै नम:।
7. तुला राशि:
ॐ ह्रीं उमा महालक्ष्म्यै नम:।
8. वृश्चिक राशि:
ॐ शक्तिरुपायै नम:। या ॐ ह्रीं उमा काम्नख्यै नम:।
9. धनु राशि:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
10. मकर राशि:
ॐ पां पार्वती देव्यै नम:।
11. कुंभ राशि:
ॐ पां पार्वती देव्यै नम:।
12. मीन राशि:
ॐ श्रीं हीं श्रीं दुर्गा देव्यै नम:।
समस्याओं के लिए ये मंत्र हैं खास...
- विवाह में बाधा...
विवाह में बाधा आम बात है कई बार अच्छे रिश्ते मिलने के बाद भी बात नही बन पाती। यदि सचमुच ऐसा है तो नौ दिनों तक माता शक्ति को पीले फूलों की माला अर्पित करें। उनसे प्रार्थना करें कि आपकी समस्या दूर हो जाए साथ ही इस मंत्र का जाप करें...
कात्यायनी महामाये
महायोगिनयधीश्वरी नन्दगोपसुतं देवी
पति में कुकू ते नम:।।
- संतान के लिए...
नन्दगोपगृह जाता यशोदागर्भ सम्भवा
ततस्तौ नाशयिष्यामि विन्ध्याचलनिवासिन
इस मंत्र का जाप करते हुए पान के ऐसे पत्ते पूजा में अर्पित करें जो खंडित ना हों अर्थात कहीं से भी टूटे हुए ना हों।
- नौकरी के लिए...
सर्वबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वित:
मनुष्यो मत्प्रसादेने भविष्यति ना संशय:
बताशे और लौंग रखकर मां की आराधना पूरे नौ दिनों तक करें और प्रत्येक बार अपनी प्रार्थना मां शक्ति के समक्ष रखकर उनसे कहें कि वे आपके कष्टों का जल्दी निदान करें।
- मुकदमा या कर्ज से मुक्ति के लिए...
ऊं दुं दुर्गाय नम: ।।
या
ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे।।
पूरे नौ दिनों तक पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप करें। माता के समक्ष गुग्गल की सुगंध वाला धूप जलाएं। अखंड ज्योत जलाकर देवी के सामने प्रार्थना करें कि वे आपके शत्रुओं का नाश करें। ऐसे करने से निश्चित ही आपको लाभ होगा। यह नवरात्रि गुप्त साधना के लिए ही है अतः यदि आप विधि विधान से पूजा करते हैं तो अापके सभी संकट भी दूर हाे सकते हैं।
इस दौरान से ही रामरक्षास्त्रोत का जाप करना भी हर राशि और हर व्यक्ति के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है।
पंडित शर्मा के अनुसार नवरात्रों में मां भगवती की आराधना दुर्गा सप्तशती DurgaSapthsati से की जाती है, परन्तु यदि समयाभाव है तो भगवान् शिव रचित सप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ अत्यंत ही प्रभाव शाली एवं दुर्गा सप्तसती का सम्पूर्ण फल प्रदान करने वाला है।
सप्तश्लोकी दुर्गा (सप्तशती)
नवरात्रों में मां भगवती की आराधना दुर्गा सप्तशती DurgaSapthsati से की जाती है , परन्तु यदि समयाभाव है तो भगवान् शिव रचित सप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ अत्यंत ही प्रभाव शाली एवं दुर्गा सप्तसती का सम्पूर्ण फल प्रदान करने वाला है , यह श्लोक इस प्रकार है –
विनियोग...
ॐ अस्य श्री दुर्गा सप्तश्लोकी स्तोत्र मंत्रस्य, नारायण ऋषि: अनुष्टुप् छ्न्द:
श्री महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वत्यो देवता: श्री दुर्गा प्रीत्यर्थे सप्तश्लोकी दुर्गा पाठे विनियोग: ।
श्लोक
ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा
बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ।।१।।
दुर्गे स्मृता हरसिभीतिमशेष जन्तो:
स्वस्थै: स्मृता मति मतीव शुभां ददासि
दारिद्र्य दु:ख भय हारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकार करणाय सदार्द्र चित्ता ।।२।।
सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते ।।३।।
शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे
सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोऽस्तुते ।।४।।
सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्व शक्ति समन्विते
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तुते ।।५।।
रोगान शेषा नपहंसि तुष्टा
रुष्टा तु कामान् सकलान भीष्टान् ।
त्वामाश्रितानां न विपन् नराणां
त्वामाश्रिता ह्या श्रयतां प्रयान्ति ।।६।।
सर्वा बाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि
एकमेव त्वया कार्यमस्मद् वैरि विनाशनं ।।७।।
इति सप्तश्लोकी दुर्गास्तोत्र सम्पूर्णा ।।
Published on:
07 Jul 2018 06:50 pm
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