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चिकित्सा शिक्षा की पढ़ाई हिन्दी में कराने फिर शुरू हुई कवायद, मंत्री ने कहा कमेटी बनाकर तैयार होगा मॉड्यूल

locationभोपालPublished: Sep 14, 2021 11:50:02 pm

हिन्दी विश्वविद्यालय अब तक शुरू नहीं कर पाया

higher education

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भोपाल। मध्यप्रदेश में अब चिकित्सा छात्रों के लिए हिंदी में कोर्स तैयार किया जाएगा। जल्द ही इसके लिए कमेटी बना कर मॉड्यूल तैयार किए जाएंगे। यह घोषणा मंगलवार को चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने की। उन्होंने कहा कि हमने प्रदेश में मेडिकल की पढ़ाई हिन्दी में करने का निर्णय लिया हैं। जल्द ही इसके लिए एक कमेटी बनाई जाएगी।
मंत्री ने कहा कि इसके लिए पूरी तैयारी करेंगे, कमेटी का गठन करेंगे। कमेटी के सुझाव के आधार पर ही पूरा पाठ्यक्रम हिन्दी में तैयार किया जाएगा। जल्द से जल्द इसकी शुरुआत करने जा रहे हैं, हालांकि अभी इसके लिए समय सीमा तय नहीं की गई है, लेकिन हमारा प्रयास रहेगा कि कम समय में इसे शुरू करें। इससे छात्रों को मेडिकल की पढ़ाई करने में आसानी होगी।
मालूम हो कि एक दिन पहले मध्यप्रदेश के सभी कॉलेज में रामचरितमानस नाम से नया कोर्स शुरू किया गया है। बीए फस्र्ट ईयर में इसे शामिल किया गया है, हालांकि यह वैकल्पिक विषय है। इसके साथ ही मध्यप्रदेश की उर्दू गजल विषय को भी इस साल से आट्र्स के कोर्स में शामिल किया गया है।
हिन्दी विवि अभी तक नहीं कर पाया
अटल बिहारी वायपेयी हिंदी विश्वविद्यालय मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में वर्ष 2011 से संचालित है। लेकिन विश्वविद्यालय बीते सालों में अभियांत्रिकी और चिकित्सा से जुड़े स्नातक व स्नातकोत्तर व्यायसायिक पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए काबिल नहीं बन सका है। विवि अभी तक नियमित शिक्षकों की भर्ती नहीं कर सका है। इसे अपना परिसर जरूर मिला है। लेकिन पर्याप्त अधोसंरचना अभी भी नहीं है। वहीं विवि अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के मापदंड पूरे नहीं कर पा रहा है। चिकित्सा संबंधी पाठ्यक्रम हिंदी माध्यम में शुरू करने के लिए राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान परिषद (एमसीआई) से मान्यता नहीं ले पा रहा है। हिंदी अलग-अलग तरह से अपने ही लोगों के बीच, अपनी ही व्यवस्थाओं में संघर्ष कर रही है। इस विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. खेम सिंह डहेरिया कहते हैं कि इस दिशा में उन्हें जल्द ही सफलता मिलेगी। वहीं उन्होंने हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए कहा कि विवि में सभी पाठ्यक्रमों की पढ़ाई हिंदी भाषा में ही कराई जा रही है। इसे अन्य विवि को स्वीकार करना होगा। आम हो या खास हर भारतीय को इसे गर्व के साथ मान सम्मान देना होगा। सरकार भी अपने स्तर पर कोशिश कर रही है।

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