
ICMR की सलाह : कोरोना के बाद अगर 2-3 हफ्ते खांसी रहे तो करा लें टीबी की जांच, वरना...
भोपाल. कोरोना के ऐसे संक्रमित जिन्हें हल्के लक्षण हैं इसके बावजूद उन्हें दो से तीन सप्ताह तक लगातार खांसी बनी हुई है। बुखार भी है तो ऐसे संक्रमितों की टीबी की जांच जरूर कराना चाहिए। ताकि, हकीकत का पता चल सके। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने तीसरी लहर और पहले के मरीजों में आ रही टीबी के संक्रमण की जानकारी के बाद केंद्र सरकार को मरीजों के इलाज के लिए संशोधित गाइडलाइन दी है। आइसीएमआर का कहना है कि, कोरोना से फैफड़े कमजोर हो जाते हैं, जिससे इन पर टीबी के संक्रमण की खतरा सबसे ज्यादा होता है।
तीसरी लहर में हालात बिगड़ते जा रहे हैं। जांच में हर तीसरा सैंपल पॉजीटिव निकल रहा है, यही नहीं भोपाल शहर की पॉजीटिविटी रेट भी 35.6 से ज्यादा हो गई। लगभग हर घर में वायरल का असर है, इसके बावजूद कई लोग कोरोना जांच नहीं करा रहे हैं। दरअसल, कोरोना की जानकारी के लिए विभाग द्वारा शुरू की गई हेल्पलाइन पर हर रोज लोगों द्वारा बीमारी छिपाने की 6 से 8 शिकायतें आ रही हैं। पड़ताल में सामने आया कि, लोग घर में क्वारेंटीन होने के डर से कोरोना की जांच नहीं करवा रहे।
पड़ोसी करते हैं शिकायत
हेल्पलाइन डेटा रिपोर्ट के अनुसार, एक से 15 जनवरी तक 95 शिकायत दर्ज की गई, जिसमें कहा गया कि, वायरल होने के बावजूद लोग कोरोना की जांच नहीं करा रहे। अफसरों की मानें तो शिकायत के बाद उस क्षेत्र की टीम के माध्यम से परिवार की काउंसिलिंग कराई जाती है।
ये जरूर कराएं टीबी की
जांच: बुजुर्ग, मधुमेह, दिल की बीमारी, हार्ट में ब्लाकेज, टीबी, एचआइवी, फेफड़े, लिवर, किडनी व मोटापा से पीड़ित जरूरी जांच कराएं। हल्के संक्रमण से जूझ रहे ऐसे मरीज, जिन्हें 5 दिन से ज्यादा समय तक सांस लेने में दिक्कत हो।
स्टेरॉयड के इस्तेमाल से बचने की सलाह
देशभर में ओमिक्रॉन मरीजों को स्टेरॉयड देने की शिकायतें मिल रही हैं। ऐसे में आइसीएमआर ने बेवजह स्टेरॉयड के इस्तेमाल न करने को कहा है। नई गाइडलाइन में कहा गया है कि, अति गंभीर मरीजों की जान बचाने, अनियंत्रित डायबिटीज व सांस के गंभीर मरीजों की बिगड़ती स्थिति को रोकने के लिए स्टेरॉयड दी जा सकती हैं, वह भी सीमित मात्रा में। मालूम हो कि दूसरी लहर के दौरान स्टेरॉयड के इस्तेमाल के बाद म्यूकर माइकोसिस जैसे मामले बढ़ गए थे।
तीन कैटेगरी में दी इलाज की सलाह
-ऑक्सीजन लेवल घटे और न ही सांस फूले, हल्के लक्षण हैं तो मरीज होम आइसोलेशन में रहेंगे।
-सांस लेने में दिक्कत हो ऑक्सीजन सेचुरेशन (एसपीओटू) 93 से नीचे हो तो अस्पताल में ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखें।
-एसपीओटू 90 से नीचे चला जाए। आइसीयू में भर्ती कर ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखें, स्थिति गंभीर हो रही है तो एंटी वायरल दवा रेमडेसिविर और स्टेरायड के इस्तेमाल की अनुमति होगी।
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Published on:
22 Jan 2022 09:01 pm
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