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रिपोर्ट में खुलासा- भ्रष्टाचार में राजस्व विभाग नंबर-1, पुलिस विभाग टॉप-3 में

लोकायुक्त एजेंसी की ताजा रिपोर्ट में, प्रदेश के राजस्व विभाग को अन्य सभी विभागों के मुकाबले सबसे ज्यादा करप्ट बताया है। दूसरे स्थान पर पंचायत एवं सहकारिता विभाग और तीसरे पर प्रदेश का पुलिस विभाग शामिल है।

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रिपोर्ट में खुलासा- भ्रष्टाचार में राजस्व विभाग नंबर-1, पुलिस विभाग टॉप-3 में

भोपाल/ भ्रष्टाचार एक दीमक की तरह तरह है, जो हमारे समाज, अर्थव्यवस्था समेत पूरे देश को बहुत तेजी से खोखला कर रहा है। ये समाज और देश के विकास में बड़ी बाधा है। हर साल 9 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर मध्य प्रदेश के सरकारी विभागों में होने वाले करप्शन पर नजर रखने वाली लोकायुक्त एजेंसी की ताजा रिपोर्ट में, प्रदेश के राजस्व विभाग को अन्य सभी विभागों के मुकाबले सबसे ज्यादा करप्ट बताया है।

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इन्हें मिला दूसरा और तीसरा स्थान


लोकायुक्त की रिपोर्ट में दूसरे स्थान पर पंचायत एवं सहकारिता विभाग और तीसरे नंबर पर मध्य प्रदेश पुलिस विभाग को स्थान दिया गया है। लोकायुक्त की ताजा रिपोर्ट में इस साल एक जनवरी से पांच दिसंबर तक 294 एफआईआर (FIR) दर्ज हुई है। वहीं, राजस्व विभाग की बात करें तो, ये सरकार का सबसे महत्वपूर्ण विभाग है, जिसमें जमीन से जुड़े कामकाज शामिल हैं, लेकिन इस विभाग में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार होते हैं। लोकायुक्त ने जितनी भी एफआईआर दर्ज की, उसमें सबसे ज्यादा मामले राजस्व विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों के सामने आए हैं। सबसे ज्यादा शिकायतें भी लोकायुक्त के पास इसी विभाग की पहुंचती हैं। आपको याद होगा कि उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने सितंबर में कहा था कि 'कलेक्टर साहब आपके 100 फीसदी पटवारी रिश्वत लेते हैं, इन पर आप लगाम कसिए। मंत्री के इस बयान के बाद पटवारी खासे नाराज हुए, जिसके बाद मंत्री को माफी मांगनी पड़ी थी।

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रिपोर्ट की प्रमुख बातें


- लोकायुक्त पुलिस शिकायतों की जांच के बाद भ्रष्ट अफसरों और कर्मचारियों को ट्रैप करते हैं।

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पूरी दुनिया की समस्या है भ्रष्टाचार!

आपको बता दें कि, ये समस्या सिर्फ मध्य प्रदेशया फिर देश की ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देश इस समस्या से ग्रस्त हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए 31 अक्टूबर, 2003 को भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में प्रस्ताव पारित हुआ था। उसके बाद से हर साल 9 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस मनाया जाता है। इसका मुख्य रूप से मकसद भ्रष्टाचार के बारे में लोगों के बीच जागरूकता पैदा करना है।

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भ्रष्टाचार क्या है?

सबसे पहले ये समझना जरूरी है कि, आकिर भ्रष्टाचार है क्या? आम शब्दों में कहें तो भ्रष्टाचार का मतलब किसी जायज या नाजायज काम को करने के लिए दिया जाने वाला अनुचित लाभ। ये लाभ आर्थिक रूप में हो सकता है जिसे रिश्वत कहते हैं या किसी और तरह से भी हो सकता है। उदाहरण के लिए आपको पहचान पत्र बनवाना है। आप निर्धारित दफ्तर में इसको बनवाने जाते हैं, लेकिन वहां आपसे इसके बदले पैसों की मांग की जाती है, जबकि सरकारी अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वो आपका काम मुफ्त करे। कई बार अनैतिक काम भी पैसे लेकर किये जाते हैं, जिसे भ्रष्टाचार के दायरे में शामिल किया गया है।

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कितनी गंभीर है ये समस्या?

एक अनुमान के मुताबिक, दुनिया भर में हर साल 1 ट्रिलियन डॉलर यानी करीब 70 लाख करोड़ रुपये हर साल घूस के तौर पर दिया जाता है। वहीं भ्रष्टाचार के माध्यम से करीब 300 लाख करोड़ रुपये की हर साल चोरी की जाती है जो दुनिया भर की जीडीपी का करीब पांच फीसदी है।

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इसका खतरा क्या है?

खासतौर पर विकासशील देशों के लिए यह सबसे गंभीर अपराध है। इससे सामाजिक और आर्थिक विकास की रफ्तार धीमी होती है। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा भी प्रभावित होती है। करोड़ों लोग उचित शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल सुविधा और अन्य जनसुविधाओं को हासिल नहीं कर पाते हैं।

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जिम्मेदार कौन?

अगर भ्रष्टाचार की बात आती है तो इसके लिए जितना सरकारी सिस्टम जिम्मेदार है, उतना ही आम आदमी और निजी कंपनियां भी शामिल हैं। कई बार आम आदमी भी झंझट, परेशाना और समय की बचत करने के लिए अधिकारियों की नाजायज मांग को मान लेता है। इस तरह से वह भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है। कई बार प्राइवेट कंपनियां भी ऐसा करती हैं।

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अगर आपसे किसी सरकारी विभाग में घूस की मांग की जाती है तो आप उस विभाग प्रमुख को सूचना दे सकते हैं या भ्रष्टाचार विरोधी शाखा या फिर सतर्कता आयोग से संपर्क कर सकते हैं।